अभिषेक मिश्रा, लखनऊ। तमिलनाडू की राजनीति का लखनऊ की राजनीति से
क्या कनेक्शन हो सकता है। शायद कुछ भी नहीं। लेकिन दो महीने पहले दुनिया को छोड़
चुकी जयललिता से अखिलेश यादव ने प्रेरणा लेकर अपने चुनावी वादे वही बनाए, जो
जयललिता ने वहां कि जनता से किए और फिर से सत्ता में आई और अम्मा बन गई। अभी
अखिलेश भी उसी रास्ते पर हैं। क्योंकि अखिलेश जानते हैं कि उत्तर प्रदेश का चुनाव
बहुत कठिन है और लोक लुभावन वायदों के साथ ही चुनावी मैदान को फतह किया जा सकता
है। खास तौर से जो भोजन और महिलाओं से जुड़े हुए हैं हालांकि तमिलनाडू और उत्तर
प्रदेश की राजनैतिक स्थितियां अलग अलग हैं। लेकिन सपा के चुनावी वादों को देखकर
लगता है कि टीपू भी अम्मा की राह पर हैं। जबकि पहली बार ऐसा प्रदेश में हो रहा है। [@ Exclusive: BSP ने इन 11 मुद्दों पर घेरा अखिलेश को, कहा- दोबारा मुख्यमंत्री.... ]
अखिलेश
ने जो भी चुनावी वादे किए हैं। उसको देखते हुए लगता है कि वह जननेता बनने की तरफ
जा रहे हैं। विकास के वादों के साथ ही वह जनता से जुड़े वादे कर रहे हैं। महिलाओं
को साधने और परंपरागत वोट बैंक को बचाये रखने के लिए गरीब
महिलाओं को प्रेशर कुकर, मुफ्त गेहूं-चावल देने का वादा किया है। जो आमतौर पर दक्षिण की राजनीति में होता
है। इसी तरह महिलाओं के लिए परिवहन निगम की
बसों में किराया आधा करने व सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को एक किलो घी व
दूध का पाउडर देने का वादा भी किया गया है।
समाजवादी पेंशन की राशि 500 रुपये
से बढ़ाकर 1000 रुपये मासिक करने और लाभार्थियों की संख्या 55 लाख
से बढ़ाकर एक करोड़ करने का वादा है।
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