खास खबर- बाबा आपके चेहरे पर बालक की तरह सहज भाव, क्रांति और प्राकृतिक हंसी हर समय रहती है, लोग आपकी उम्र का अंदाज़ा नही लगा पाते आपकी उम्र क्या है?बाबा बालक दास- स्वभावतः हँसते हुए समाधि के पार मनुष्य के शरीर पर देश और काल का प्रभाव नही पड़ता। उम्र का प्रभाव योगियों और महर्षियों पर नही पड़ता।खास खबर-बाबा आपकी मुलाकात देवरहा बाबा से कैसे हुई?
बाबा बालकदास-(कुछ देर मौन रहकर) बचपन में मुझे हिमालय पर्बत पर जाकर कठिन साधना करने की कामना हुई। मैंने सुन रखा था कि साधना हिमालय की एकांत पहाड़ियों पर होती है।उसी कामना से मैंने बचपन में लोगों से पूछा की हिमालय पर जाना कैसे सम्भव होगा?लोगों ने कहा कि ट्रेन से हिमालय जा सकते हैं, मैं ट्रेन देखा नही था जैसे तैसे मैंने ट्रेन पकड़ी और ट्रेन हिमालय की बजाय काशी लेकर आ गई।काशी स्टेशन पर उतरकर मैंने पूछा हिमालय का रास्ता किधर है, लोगों ने कहा यह तो काशी है, हिमालय यहां से बहुत दूर है।मैंने सोचा रात काफी हो गई है चलो यही रुकता हूँ सवेरे जाऊंगा हिमालय।मैं कुछ दूर चलकर थक कर रुक गया और फिर एक जगह लोगों से पूछा कबीर साहेब का आश्रम कहां मिलेगा (क्योंकि मैंने कबीर साहेब के बारे में सुन रखा था कि उनका जन्म काशी में ही हुआ था)?लोगों ने कहा यहीं सो जाओ कल सवेरे कबीर आश्रम पर पहुंचा देंगे।
खास ख़बर Exclusive: सदियों पुरानी
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