इंज़माम वहीदी, नई दिल्ली: भारत में अंतर्देशीय परिवहन के लिए
रेल सबसे बड़ा माध्यम है। दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक भारत में हर
रोज़ सवा दो करोड़ से भी ज़्यादा यात्री सफ़र करते हैं जबकि 87 लाख टन के आसपास
सामान ढोया जाता है। कुल 64,600 रूट के ट्रैक पर जरा-सी गफ़लत लाखों लोगों की जान
को जोखिम में डाल सकती है। ऐसे में इन पटरियों पर यात्रियों और इनके आसपास से गुज़रने
वालों की सुरक्षा पर ख़ास ध्यान देने की ज़रूरत से इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन
यह हो नहीं पाता, और यही वजह है कि हर साल हादसों से दो-चार होना
पड़ता है।
देश की रेल व्यवस्था की ख़ास बात यह है कि पहले
से पता ख़ामियों को दूर किए बिना ही हर साल रेल नेटवर्क के विस्तार पर जोर होता
है। राजनीतिक कारणों से नए स्टेशन बनाए जाते हैं। नई पटरियां घोषित की जाती हैं,
नए
कोच कारखाने लगाए जाते हैं, पुराने स्टेशनों का दर्जा बढ़ाया जाता
है। रेल बजट में भी बढ़ोतरी होती है। लेकिन घाटा बरकरार रहता है।
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