मुख्य सचिव दीपक सिंघल को हटाया जाना, गायत्री प्रजापति की मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी, मुख्तार अंसारी को लेकर अनबन जैसे घटनाक्रम देखकर हर कोई कहने लगा कि पार्टी में शिवपाल और अखिलेश दो फाड़ हो चुके हैं और मुलायम सिंह यादव संभाल नहीं पा रहे हैं। इन दोनों के समर्थक तक लखनऊ की सड़कों पर उतर आए। चिट्ठी बम फूटने लगे और एक-दूसरे पर प्रहार का सिलसिला जोर पकड़ने लगा।
मीडिया में भले ही हर रोज सपा के बवंडर सुर्खियां छाई हों पर यूपी के राजनीतिक पंडित इसे दूसरे नजरिए से देखते हैं। जिन्होंने मुलायम सिंह यादव की राजनीति शुरू से देखी है और समझी है वो इस बात पर अडिग हैं कि ऐसा कुछ नहीं है। जो दिख रहा है वो हकीकत नहीं। न तो मुलायम सिंह कमजोर हो गए हैं और न ही उनका अखिलेश से मोहभंग हो गया है। अखिलेश से जैसे रिश्ते पहले थे,वैसे ही हैं और आगे भी रहेंगे।
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