जोधपुर । अगर किसी को बड़ी खांसी हो गई हो तो सीधे डॉक्टर के पास जाकर दवा ली जाती है, लेकिन मान्यता है कि जोधपुर जिले के शेरगढ़ कस्बे में धोरे की धणीयोणी के नाम से प्रसिद्ध आवड़ माता मंदिर के निकट वर्षों पुरानी खेजड़ी मरीजों की कुकर खांसी का उपचार कर रही है। खास बात तो ये है की खांसी के लिए यहां दवा भी नहीं खानी पड़ती। इस खेजड़ी की अनगिनत जड़ें क्षेत्र के आम श्रद्धालुओं में आस्था के साथ ही एक डॉक्टर का काम करती हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं में आम धारणा बनी हुई है कि इन जड़ों के बीच से बच्चों को निकालने मात्र से उनकी कुकर खांसी ठीक हो जाती है। ऐसा भी नहीं है कि ये कोरा अंधविश्वाश हो, यहाँ आने वाले बच्चों की खांसी ठीक होने की मान्यता है।
विज्ञान के लिए भी चुनौती है यहां की खेजड़ी
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