गरीब को गणेश मानकर सेवा करने का दंभ भरने वाली सरकार की योजनाओं की
पोल ऐसे मामलों को देखकर खुल जाती है। दलित परिवार, कमाने वाला केवल एक,
इलाज के लिए मोहताज तीन-तीन लोग और सरकारी सहायता शून्य। ऐसी कड़वी हकीकत
वाले उदाहरण ही सरकारी योजनाओं की क्रियान्विति के लिए होने वाली समीक्षा
और सरकारी तंत्र पर सवाल खड़े कर देते हैं। [@ टाइटेनिक हादसे पर नया खुलासा,जहाज डूबने की असली वजह कुछ और...]
पहले खर्च किए पैसे, अब हार गए
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