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Exclusive:10 साल से बेडिय़ों में जकड़ी है झुंझुनूं की जीवणी

झुंझुनूं (सुजीत कुमार )। 13 साल पहले पति की मौत हो गई। तीन बेटियों का जिम्मा आ गया। इसी चिंता ने जीवणी को मानसिक रूप से बीमार कर दिया और तब से लेकर अब तक जीवणी की जिंदगी जकड़ी है जंजीरों में। जी, हां झुंझुनूं के चिड़ावा इलाके के क्यामसर गांव में अपनी बेटियों के ससुराल में 10 सालों से जीवणी जंजीरों से ही जकड़ी हुई है। वहीं पर उसका खाना-पीना होता है। दरअसल जीवणी मंडेला के पास रावतसर गांव की रहने वाली है। जिसकी शादी बुहाना इलाके के सागा गांव में हुई। उसकी तीन बेटियां थीं। तीनों छोटी ही थीं कि पिता का साया सिर से उठ गया और घर को संभालने वाला कोई नहीं था। पति की मौत के बाद जीवणी एक माह के समय के अंतराल में ही मानसिक रूप से बीमार हो गई और बेटियों की सार-संभाल की चिंता के चलते दो बार कुएं में कूदकर जान देने की कोशिश की लेकिन, भाग्य में कुछ और ही लिखा था। दो बार कुएं में कूदने के बाद भी जीवणी जिंदा बच निकली। जीवणी की इन हरकतों के बाद उसकी दो बेटियां उसे अपने ससुराल ले आईं और अपनी छोटी बहन का भी लालन पालन अपने ससुराल में करने लगीं। दवा-दुआ, दोनों से थकहारकर अब परिवार के लोगों ने जीवणी को जंजीरों में ही बांध दिया है। जीवणी जैसी कहानियों से सरकारी योजनाओं की सफलताओं की भी कड़वी हकीकत सामने आ रही हैं। उधर, इस कहानी की जानकारी मिलने पर सीएमएचओ ने महिला का इलाज कराने का आश्वासन दिया है। वहीं साइक्लोजिस्ट डॉ. लालचंद ढाका ने इसे अमानवीय कृत्य बताते हुए कानून रूप से इस महिला को बेडिय़ों से मुक्त करवाकर अच्छा इलाज देने की सरकार से मांग की है। जीवणी के तीन बेटियां हैं। जिनमें किरण और बुलकेश एक ही परिवार में क्यामसर में प्यारेलाल और मुरली के ब्याही है। वहीं उनकी तीसरी बहन सुमन भी उनके पास रहते हुए पढ़ाई कर रही है और साथ ही अपनी मां जीवणी की सेवा भी। जीवणी की बेटियों के ससुराल में भी पिछले कुछ समय से कमाने वाला एक ही शख्श है। पहले तो उसके दोनों दामाद प्यारेलाल और मुरली कमाते थे। लेकिन मुरली का हाथ पिछले दिनों काम करते वक्त एक मशीन में आ गया और उसके बाद वह काम करने में असमर्थ हो गया। वहीं मुरली का एक बेटा भी न बोल पाने के कारण इलाज ले रहा है। प्यारेलाल और मुरली, दोनों की बूढ़ी मां अब इधर-उधर थोड़ा बहुत करके घर चलाने का खर्चा ला रही है। वहीं परिवार में मुरली और और उसका बेटा, दोनों के इलाज में भी पैसा खर्च हो रहा है।

नहीं मिल रहा है सरकारी योजनाओं का लाभ

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Web Title-Jivanis life is bound up in fetters from 10-year in Jhunjhunu
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