बता दें कि करीब एक महिना होने पर बलिदान दिवस पर घोषित कार्यक्रम के तहत
आज प्रदेश भर में जारी धरनों पर काला दिवस मनाया गया। खास बात ये रही कि
धरने पर पहली बार दो-दो ट्रोली वाले ट्रेक्टरों को महिलाएं चलाकर धरना स्थल
पर पहुंची। भीङ भी अन्य दिनों की बजाय ज्यादा रही। धरने पर हर रोज की तरह
जहां नारेबाजी की गई वहीं काला दिवस पर छोटे बच्चों ने अपनी ओजस्वी कविताओं
के माध्यम से सरकार व व्यंग बाण छोङे। [ जानिए कहां रहते थे अंतिम हिंदू सम्राट विक्रमादित्या, क्या है नाम..]
जाट नेता एवं आंदोलनकारी
गंगाराम श्योराण ने बताया कि आज न केवल धरना स्थल पर, बल्कि धरने पर न
पहुंचे लोग भी अपने घरों, खेतों व बाजार में भी काली पट्टियां बांध कर रोष
जता रहे हैं। उन्होंने कहा कि बलिदान दिवस पर घोषित कार्यक्रम के अनुसार एक
मार्च से सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन चलाया जाएगा, जिसके तहत बिजली-पानी
के बिल ना भरने तथा बैंकों से लिए कर्ज के ऋण को नहीं भरा जाएगा। साथ ही
दो मार्च को दिल्ली कूच कर पीएम मोदी को ज्ञापन सौंप कर जल्द ही एक दिन
सब्जी व दूध की सप्लाई रोकी जाएगी।
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