कैथल। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार धरना
प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक व निजी संपत्ति को होने वाले नुकसान की भरपाई
प्रदर्शनकारियों की सम्पत्ति से की जाएगी।
जिला
उपायुक्त संजय जून ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा
प्रदर्शन के दौरान निजी व सार्वजनिक सम्पत्ति को हुए नुकसान की भरपाई
प्रदर्शनकारियों की सम्पत्ति से करने तथा सार्वजनिक व निजी सम्पत्ति को हुए
नुकसान के आंकलन में संदर्भ में गठित के.टी. थोमस कमेटी तथा एफ.एस. नरिमन
कमेटी द्वारा की गई सिफारिशों की अनुपालना सरकार व प्रशासन के लिए जरूरी
होगा। [@ ये हैं आज का एकलव्य, अपने ही टीचर से मांगी फिरौती...] [@ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
जून ने बताया कि जाट आरक्षण संघर्ष समिति के
उन्नतीस जनवरी के प्रस्तावित धरना प्रदर्शन के आह्वान के दृष्टिगत जिला
प्रशासन द्वारा कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष कदम उठाए गए
हैं। जिला में हर हालत में शांति व्यवस्था को कायम रखा जाएगा तथा किसी भी
व्यक्ति को शांति भंग करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। उन्होंने बताया कि
सर्वोच्च न्यायालय के सार्वजनिक व निजी सम्पत्ति नुकसान बनाम आंध्र प्रदेश
व अन्य मामले में दिए महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट किया गया है कि
सार्वजनिक व निजी सम्पत्ति के हुए नुकसान की भरपाई षडय़ंत्रकारी शक्तियों की
निजी चल व अचल सम्पत्ति से की जाएगी। इस मामले में पूर्णत: जिम्मेदारी
निर्धारित करने के सिद्धांत को लागू किया जाएगा, जिसमें यह प्रावधान है कि
धरना प्रदर्शन में हुए नुकसान में प्रदर्शनकारियों का हाथ रहा है। अपराध
करने वाले असली षडय़ंत्रकारियों तथा धरना प्रदर्शन के आयोजकों को संयुक्त
रूप से नुकसान के लिए जिम्मदार ठहराया जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय केनिर्णय
के बारे में जिला प्रशासन द्वारा धरना प्रदर्शन में शामिल लीडरों को अवगत
करवाया जा रहा है, जो आरक्षण के मुद्दे पर सरकार के विरुद्ध लोगों को
प्रदर्शन के लिए उकसाते हैं। उपायुक्त
ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय की हिदायतों अनुसार जिला प्रशासन द्वारा
ऐसे नेताओं की चल व अचल सम्पत्ति का विस्तृत आंकलन पहले किया जा चुका है
ताकि धरना प्रदर्शन के दौरान किसी भी तरह के होने वाले नुकसान की भरपाई
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार की जा सके। जिला प्रशासन
द्वारा जिला के संवेदनशील गांवों की पहचान की जा चुकी है तथा प्रशासन
द्वारा गठित विशेष टीमें इन संवेदनशील गांवों का दौरा करके कानून एवं
व्यवस्था बनाए रखने के लिए पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों का सहयोग
लिया जा रहा है। उन्होंने
बताया कि धरना प्रदर्शन की अनुमति लेने वाल व्यक्तियों को लिखित रूप में
यह देना होगा कि वे धरना स्थल पर पूर्णत: शांतिपूर्वक प्रदर्शन करेंगे तथा
किसी भी सम्पत्ति का नुकसान नहीं होने देंगे। प्रशासन द्वारा राष्ट्रीय
राजमार्ग, रेलवे ट्रैक तथा संवेदनशील प्रतिष्ठानों के साथ रैली या धरना आदि
करने की अनुमती प्रदान नहीं की जाएगी। जिला प्रशासन द्वारा धरना प्रदर्शन
में भाग लेने वाले नेताओं के साथ सम्पर्क करके हिंसक प्रदर्शन में शामिल न
होने बारे भी उन्हें समझाया जा रहा है। प्रशासन द्वारा डयूटी मजिस्ट्रेट
के साथ पुलिस अधिकारियों की टीमें गठित की गई हैं तथा उन्हें वीडियो कैमरा
एवं माईक सर्विस से युक्त वाहन दिए गए हैं ताकि संवेदनशील क्षेत्रों में
गश्त के दौरान वीडियोग्राफी भी की जा सके।
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