एशियाई की दो बड़ी इकॉनमी के बीच हाई स्पीड रेल के कॉन्ट्रैक्ट्स को
लेकर कड़ी प्रतियोगिता है। पिछले साल चीन ने इंडोनेशिया में एक लाइन का
कॉन्ट्रैक्ट हासिल करके जापान को पछाड़ दिया। सिंगापुर-कुआलालम्पुर के बीच
प्रस्तावित एक लाइन को लेकर दोनों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा है। थाइलैंड
में एक लाइन बनाने का चीनी प्रस्ताव इस साल असफल हो गया जबकि वियतनाम में
जापान के सहयोग वाली योजना को देश की नेशनल असेंबली ने खारिज कर दिया।
ताइवान की जापान प्रायोजित लाइन को वित्तीय संकट से जूझना पड़ा और सरकार ने
पिछले साल इसे बेल आउट दिया।
रेलवे नेटवर्क निर्माण के मामले में चीन
और जापान की क्षमता की बात करें तो दोनों देशों के अंदर कुछ खास बातें हैं।
चीन के पास दुनिया का सबसे बड़ा हाई स्पीड रेल नेटवर्क है। जापान के
मुकाबले चीन के साथ सौदा सस्ता पड़ेगा। शंघाई चॉन्गयान्ग इन्वेस्टमेंट
मैनेजमेंट कंपनी के एक एनालिस्ट चेन सुमिंग ने बताया, ‘चीन के पास उन
क्षेत्रों में भी ट्रेन लाइन बिछाने की क्षमता है जहां काफी खराब मौसम पाए
जाते हैं और चुनौतीपूर्ण भौगोलिक स्थिति है।’ उनका कहना है कि अगर
टेक्नॉलजी, प्राइसिंग और क्वॉलिटी के आधार पर चुना जाए तो चीन के सीआरआरसी
कॉर्पोरेशन को ट्रेनों के ऑर्डर मिलने की पूरी उम्मीद है।
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