जयपुर। श्वांस से संबंधित इडीयोपैथिक पल्मोनरी फाईबरोसिस (आईपीएफ) बीमारी के मरीजों के लिए जयपुर के दो डॉक्टरों के सहयोग से बनाई गई एक दवा दुनिया की सर्वोच्च 10 खोज में से 8वें स्थान पर शामिल की गई है। ‘निन्टाडेनिब’ दवा नाम की इस दवा को अमरीका के अग्रणी शोध संस्थान क्लीवलैंड क्लिनिक ने यह स्थान दिया है। इस दवा का अनुसंधान दुनिया के 24 देशों के 205 केन्द्रों में हुआ। जिसमें जयपुर के अस्थमा भवन के विशेषज्ञ और एसएमएस अस्पताल के पूर्व अधीक्षक डॉ.वीरेन्द्र सिंह सहित डॉ.आशीष मालपानी भी शामिल थे। डॉ.वीरेन्द्र सिंह ने बताया कि इस बीमारी में मरीज के फेफड़े सिकुड़ जाते हैं और मरीज को श्वांस में तकलीफ और खांसी होने लगती है। यह बीमारी धीरे धीरे बढ़ती जाती है और मरीज ऑक्सीजन के बिना नहीं रह पाता। बीमारी होने के करीब 3 से 5 साल में मरीज की मौत भी हो जाती है। ऐसे मरीजों के लिए चिकित्सा जगत में इक्का-दुक्का दवाइयां ही अब तक उपलब्ध थी। उन्होंने बताया क इस दवा के प्रयोग से बीमारी बढऩे की गति कम हो जाती है।
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