शीर्ष अदालत ने भाजपा प्रवक्ता से पूछा, ‘आप पेशेवर जनहित याचिका
ऐक्टिविस्ट बन गए हैं। हम हर दिन आपको अदालत में पीआईएल करते देखते हैं।
आपकी पार्टी केंद्र की सत्ता में है फिर आप अपनी समस्याओं के लिए सरकार से
संपर्क क्यों नहीं करते?’
अदालत ने साफ किया कि न्यायपालिका में सियासी
गतिविधियों को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने कहा, ‘राजनीतिक लाभ के
लिए न्यायिक फोरम के इस्तेमाल की कोशिश करने वाले पॉलिटिकल ऐक्टिविज्म को
कोर्ट रूम में एक्टिव होने की अनुमति नहीं दी जा सकती।’ पिछले महीने ही
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि ज्यादातर पीआईएल सही मकसद से दाखिल नहीं की
जातीं। हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने कहा, ‘80 पर्सेंट से ज्यादा पीआईएल ऐसे
लोगों की ओर से दाखिल की जाती हैं, जिनका मकसद सिर्फ ब्लैकमेल करना होता
है।’
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