कैथल। सामान्य अस्पताल आए दिन किसी ना किसी विवाद के कारण चर्चा में बना रहता है। मरीज भी सामान्य अस्पताल में इलाज करवाने से कन्नी काटते नजर आते हैं क्योंकि पहली बात तो इलाज के लिए लंबी चौड़ी कागजी कार्रवाई और फिर इलाज के नाम पर खानापूर्ति। अस्पताल की हालत तो ऐसी है कि ठीक-ठाक आदमी भी बीमार हो जाए। अस्पताल में दाखिल होते ही गंदगी का बड़ा सा नाला है और अंदर साफ़-सफाई के नाम पर बस खानापूर्ति है। अगर देखा जाए तो अस्पताल की सभी बालकनियों में गंदगी जमा है जिसकी वजह से मरीजो को स्वच्छ हवा की बजाय दूषित हवा मिल रही है। चूहे तो पूरी बिल्डिंग में ऐसे दौड़ते है मानो धावक दौड़ लगा रहे हो। मरीज चूहों और मच्छरों की वजह से रातभर सो भी नही पाते। अस्पताल में स्टाफ की भारी कमी है। अस्पताल में 42 के करीब डॉक्टर होने चाहिए लेकिन डॉक्टरों की संख्या सिर्फ 17 है। ऐसे में मरीजों का भटकना जायज है। ऐसा ही हाल लेबोरेट्री का भी है जहाँ पर 20 लैब अस्सीसटेंटों की जरूरत है लेकिन हॉस्पिटल में सिर्फ सात हैं। ना ही अस्पताल में कोई रेडियोलॉजिस्ट है जिसकी वजह से मशीन धुल फांक रही है और अल्ट्रासाउंड के मरीजों को प्राइवेट जगहों का सहारा लेना पड़ता है। सफाई कर्मचारियों की संख्या तो बहुत कम है जिसकी वजह से पूरी तरह से सफाई नही हो पाती व चूहे का कारण भी मुख्य रूप से यही है।
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