मिर्जापुर। बिहार से
इनोवा गाड़ी में भरकर आंध्र प्रदेश ले जाए जा रहे दुर्लभ प्रजाति के विलुप्त होते
छह वन्य जीवों के मिर्जापुर में बरामद होने और एक तस्कर के पकड़े जाने से वन्य
जीवों की तस्करी के कई अंतर्राष्ट्रीय राज खुले हैं। वन्य जीव विशेषज्ञों का मानना
है कि इतनी बड़ी संख्या में दुर्लभ वन्य जीवों को जीवित बरामद होने की देश की शायद
यह पहली घटना है। इन तस्करों के तार अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बड़ी एजेंसियों से जुड़ा
होना माना जा रहा है। क्योंकि बरामद दुर्लभ वन्य जीवों को वन्य जीव विशेषज्ञों ने
कैराकल कैट बताया। यह प्रजाति भी भारतीय जंगली बिल्ली की तरह विलुप्त होती
प्रजातियों में से एक है। इसका उपयोग सिंगापुर, यूके, लंदन सहित विदेश की नामी
गिरामी कॉफी बनाने वाली कंपनियों में किया जाता है।
पर्यावरण संतुलन में
अहम माने जाने वाले वन्य जीवों की संख्या निरंतर घटती जा रही है। सरकारी, गैर
सरकारी तौर पर इन वन्य जीवों को सहेजने के लिए लाख जनत किए जा रहे हैं। बावजूद
बहुत हद तक सफलता नहीं मिल रही है। वन्य जीवों की गणना में कागज पर भले ही वन्य
जीवों की संख्या ठीक ठाक दिखायी जा रही हो लेकिन सच्चाई यही है कि यही हालात रहे
तो देश के जंगल, संरक्षित वन क्षेत्र दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव विहीन हो जाएंगे।
इसका प्रमाण रविवार को मिर्जापुर में यातायात पुलिस की कार्रवाई में तस्करों से
मुक्त कराए गए छह दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव हैं। आखिर सवाल यह उठता है कि बिहार
से मिर्जापुर तक ये वन्य जीव पहुंचे कैसे। हर जगह खुफिया एजेंसियां, वन विभाग,
पुलिस और प्रशासन की टीमें भ्रमण कर रही हैं। बावजूद इसके इन अंतर्राष्ट्रीय स्तर
के तस्करों पर किसी की नजर नहीं पड़ी। ऐसे में यही सामने आता है कि कहीं न कहीं से
सुरक्षा एजेंसियों के कमजोर तार के सहारे इस तरह के तस्कर वन्य जीवों की आसानी से
तस्करी कर ले जा रहे हैं।
बिहार से आंध्र प्रदेश तक तस्करी बड़ा
मामला
कैमूर वन्य प्रभाग
मिर्जापुर के डीएफओ ओपी सिंह ने बताया कि दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों की बरामदगी
सामान्य घटना नहीं है। निश्चित तौर पर इनका तार अंतर्राष्ट्रीय स्तर की काफी
निर्माण कंपनियों या फिर अंतराष्ट्रीय स्तर की एजेंसियों से जुड़ा होगा। यह तो आइने
की तरह साफ हो गया है कि ये वन्य जीव कैराकल कैट है। यह भी जंगली बिल्ली की तरह
महत्वपूर्ण है। काफी बनाने वाली कंपनियां जीवों की तस्करी कराकर अपने फार्मों में
रखती हैं और इनके बीट का काफी में इस्तेमाल करते हैं। पूर्व में तस्करी नेपाल से
सिंगापुर तक होती रही है। बिहार से आंध्र प्रदेश तक वन्य जीवों को ले जाना चौंकाने
वाला है। देश में पहली बार इतनी संख्या में दुर्लभ वन्य जीवों को जीवित बरामद किया
गया है। इसपर सभी एजेंसियों को गंभीरता से काम करने की जरूरत है। इससे
अंतराष्ट्रीय स्तर के रैकेट का भंडाफोड़ हो सकता है।
एसपी बने हैदराबादी तो तस्कर ने दिया ऑफर
दुर्लभ वन्य जीवों की
तस्करी करने वाले तस्कर से रविवार शाम वन विभाग कार्यालय में एसपी और डीएम मिलने
पहुंचे। एसपी ने हैदराबादी बनकर उसी के भाषा में उनसे बात की तो तस्कर खुद को छोड़ने
के लिए रिश्वत देने का ऑफर करने लगा। एसपी सबके सामने यह बात बताकर हंसने लगे। उन्होने
कहा कि तस्कर इसी तरह से लोगों को रिश्वत देकर कारोबार करते हैं। इनके खिलाफ सख्त
से सख्त कार्रवाई किए जाने की जरूरत है। इसमें तनिक भी लापरवाही नहीं होगी।
तस्कर को रिमांड पर लेगी पुलिस तब बनेगी
बात
वन्य जीवों की तस्करी
में पकड़ा गए हैदराबादी तस्कर को यदि पुलिस रिमांड पर लेकर कार्रवाई करती है तभी
अंतर्राष्ट्रीय स्तर के रैकेट का पर्दाफाश हो सकता है। क्योंकि वन अधिनियम, तस्करी
के मामलों में आरोपित बनाए जाने से कहीं ज्यादा रैकेट से जुड़े लोगों और कंपनियों
तक पहुंचना है। यदि उनको नहीं पकड़ा गया तो तस्करी का कारोबार बंद नहीं होगा। ये
तस्कर नहीं दूसरे लोग इसी काम को अंजाम देंगे।
कानूनी प्रक्रिया पूरी करके वन्य जीव भेजे
जाएंगे चिड़ियाघर
कानूनी प्रक्रिया पूरी
करने के बाद वन्य जीवों को लखनऊ चिड़ियाघर भेज दिया जाएगा। वन विभाग की टीम के साथ
जीवों को सुरक्षित वाहनों से वहां ले जाया जाएगा। इसकी तैयारी हो रही है।
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