आचार्युलु ने कहा था, ‘पीआईओ ने ऐसे कोई सबूत नहीं रखे या संभावनाएं नहीं जाहिर कीं कि डिग्री से जुड़ी सूचनाएं सार्वजनिक करने से किसी की प्राइवेसी कैसे भंग होती है।’ अमेरिका और दूसरे मुल्कों में दिए गए आदेशों का जिक्र करते हुए उन्होंने फैसला दिया कि मांगी गई जानकारी जनहित से जुड़ी हुई है। इससे पहले, आचार्युलु ने एक अन्य आरटीआई पर सुनवाई करते हुए डीयू के सीपीआईओ पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। यह कार्रवाई पीएम की ग्रेजुएशन डिग्री से जुड़ी जानकारी मांगने वाली आरटीआई को खारिज करने के लिए की गई थी। दिल्ली के एक वकील ने यह आरटीआई दाखिल की थी। आरटीआई को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि इंडियन पोस्टल ऑर्डर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार के नाम से नहीं बनवाया गया था। [@ तीखी मिर्च के बाद अब यहां के खेतों से मिलेगी पपीते की मिठास]
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