चीन के यह कहने पर कि इस मुद्दे पर आम सहमति नहीं है, जयशंकर
ने कहा,आम सहमति इसलिए नहीं बन पाई क्योंकि चीन हमारे साथ नहीं आया।
उन्होंने कहा, हमारी समझ से 1267 कमिटी में इसे (बैन के प्रस्ताव को)
जबरदस्त समर्थन है। ऎसा हमें बताया गया है। 1267 कमिटी के काम-काज की
प्रक्रिया सार्वजनिक करने के लिए नहीं है। दूसरे देशों से भी पूछा जाना
चाहिए।
जयशंकर ने कहा,एनएसजी के मुद्दे पर चीनी पक्ष ने कहा कि वे सदस्यता के लिए
भारत के आवेदन पर बातचीत को तैयार हैं। प्रक्रियाओं को लेकर उनके अपने
विचार हैं। ये विचार हमारी और समूह के अधिकांश सदस्यों की राय से भिन्न
हैं। उन्होंने कहा, कुल मिलाकर मेरा यह दौरा महत्वपूर्ण मुद्दों पर भारत की
चिंताओं और प्राथमिकताओं से अवगत कराने में उपयोगी रहा। चीन के साथ
मतभेदों का हवाला देते हुए जयशंकर ने कहा,कुछ ऎसे स्वाभाविक मुद्दे हैं जो
पडोसियों के बीच होते हैं और इनसे निपटने की जिम्मेदारी दोनों ही देशों पर
है।
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