बीजिंग। जैश-ए-मोहम्मद के सरगना और मुंबई हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर के
खिलाफ पुख्ता सबूत की चीन की मांग पर भारत ने दो टूक कहा है कि उसके करतूत
अच्छी तरह दस्तावेजों में लिपिबद्ध हैं और सबूत की जिम्मेदारी भारत पर
नहीं है। [# दिल ही तो है! जब आ गया किन्नर पर तो परी...?] [# अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
यूएन में आतंकी मसूद अजहर पर बैन का समर्थन के लिए चीन की तरफ से
पुख्ता सबूत की मांग पर प्रतिक्रिया में विदेश सचिव एस जयशंकर ने ये बातें
कहीं हैं।
एस जयशंकर ने बुधवार को चीन के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की और रणनीतिक
बातचीत की सह-अध्यक्षता की। बाद में मीडिया को संबोधित करते हुए जयशंकर ने
कहा कि प्रमुख मुद्दों पर भारत की चिंताओं और प्राथमिकताओं को व्यक्त करने
के लिहाज से बातचीत उपयोगी रही।
मसूद अजहर पर यूएन में बैन लगाने के अमेरिकी प्रस्ताव की तरफ इशारा करते
हुए उन्होंने कहा, मसूद अजहर पर यूएन की 1267 कमिटी के प्रतिबंध के मुद्दे
पर हमनें एक बार फिर से स्पष्ट किया कि प्रस्ताव (अमेरिकी) तार्किक था और
उसे सिर्फ अकेले भारत ही नहीं दूसरे देशों का भी समर्थन था। दरअसल जैश
सरगना पर बैन के लिए इस साल लाए गए अमेरिकी प्रस्ताव को ब्रिटेन और फ्रांस
ने भी समर्थन दिया था।
बैन के लिए चीनी विदेश मंत्रालय की तरफ से पुख्ता सबूत की मांग पर जयशंकर
ने कहा,अजहर के मामले में खुद उसके संगठन जैश-ए-मुहम्मद पर 1267 कमिटी के
तहत प्रतिबंध लगा हुआ है। इसलिए सबूत को 1267 कमिटी की इस कार्रवाई में ही
है। इस मामले में उसने (मसूद अजहर ने) क्या-क्या किया है, उसके सबूत अच्छी
तरह दस्तावेजों में लिपिबद्ध हैं।
विदेश सचिव ने कहा,इस बार के प्रस्ताव को हम नहीं लाए। सबूत का बोझ भारत के
ऊपर नहीं है।
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