बलवंत तक्षक। [@ अमेरिका के 911 की तर्ज पर बना डायल 100 कैसे काम करेगा...जानिए इसकी टेक्नोलॉजी]
चंडीगढ़। नोटबंदी के शोर में हुए चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में भाजपा की जीत ने हरियाणा और पंजाब में पार्टी का मनोबल ऊंचा कर दिया है। चंडीगढ़ के चुनाव नतीजों से जहां पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन ने अगले साल फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनावों में जीत की उम्मीदें बांध ली हैं, वहीं हरियाणा में 8 जनवरी को होने वाले फरीदाबाद नगर निगम के चुनाव भाजपा ने कमल के निशान पर लडऩे का फैसला किया है।
चंडीगढ़ नगर निगम की 26 सीटों में से भाजपा ने पहली बार 20 सीटों पर जीत दर्ज की है। कांग्रेस को केवल 4 सीटों पर संतोष करना पड़ा है। एक सीट पर भाजपा के एक बागी उम्मीदवार और एक सीट पर अकाली दल ने कामयाबी हासिल की है। भाजपा-अकाली दल ने मिल कर चुनाव लड़ा था। समझौते के तहत भाजपा 22 और अकाली दल ने 4 सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। भाजपा के 2 और अकाली दल के 3 उम्मीदवारों को इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। पिछले चुनाव में कांग्रेस के पास 26 में से कांग्रेस के पास 12, भाजपा के पास 11, अकाली दल के पास 1 और बसपा के पास 2 सीटें थीं। इस चुनाव में लोगों ने बसपा का खाता नहीं खुलने दिया।
चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा की पत्नी रितु छाबड़ा चुनाव हार गई हैं, जबकि पिछले 15 साल से वार्ड नंबर-3 की सीट उन्हीं के पास थी। पूर्व रेल मंत्री पवन बंसल ने हार की जिम्मेदारी ली है। उधर, चंडीगढ़ की सांसद किरण खेर और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय टंडन की तरफ से पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में की गई मेहनत सफल रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन पार्टी से इतने नाराज थे कि उन्होंने कहीं भी भाजपा उम्मीदवारों के हक में प्रचार नहीं किया, लेकिन इससे पार्टी को कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ा। नगर निगम में मेयर के पद पर जीत के लिए भाजपा को 18 पार्षदों की जरूरत थी, लेकिन अब उसके पास बहुमत से 4 पार्षद ज्यादा हैं। मनोनीत किए जाने वाले 9 पार्षद भी भाजपा के ही होंगे।
ऐसा माना जा रहा था कि नोटबंदी की वजह से एटीएम और बैंकों के बाहर लंबी-लंबी लाइनें लगने से लोग परेशान हैं और भाजपा को नगर निगम चुनाव में नुकसान हो सकता है, लेकिन पार्टी की बंपर जीत से साबित हो गया है कि लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है। भाजपा उम्मीदवारों को शहरी क्षेत्रों में भी सफलता मिली और कॉलोनियों में भी। निगम के चुनाव परिणाम ने जहां कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फेर दिया, वहीं पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन और हरियाणा में भाजपा को नई ऑक्सीजन दे दी है।
फरीदाबाद नगर निगम के चुनाव अगले साल 8 जनवरी को होने हैं। कांग्रेस व इनेलो के उम्मीदवार पार्टी के निशान पर चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन भाजपा अपने उम्मीदवारों को कमल के निशान पर मैदान में उतारेगी। भाजपा ने उम्मीदवारों के चयन के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में चयन समिति गठित कर दी है। भाजपा के सांसद व केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुज्जर ने कहा है कि फरीदाबाद की जनता आने वाले नगर निगम चुनाव में कांग्रेस को एक बार फिर चंडीगढ़ की तरह आईना दिखाएगी।
पंजाब में विधानसभा चुनाव की तैयारियों में अकाली-भाजपा गठबंधन को इस जीत ने बड़ा हौंसला दिया है। राज्य की 117 सीटों में समझौते के तहत अकाली दल 94 और भाजपा 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। अकाली दल अपने ज्यादातर उम्मीदवारों का ऐलान कर चुका है, जबकि भाजपा में उम्मीदवारों के चयन के लिए अभी मंथन जारी है। चंडीगढ़ नगर निगम के चुनाव परिणाम आने के बाद मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा है, पंजाब में भी कांग्रेस को इसी तरह करारी हार का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
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