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सर्दियों में त्वचा रोगों का होता है ज्यादा खतरा - डॉ. नीरज मेहता

मुकेश बघेल,गुरुग्राम। जिला नागरिक अस्पताल में कार्यरत त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरज मेहता ने सर्दियों में त्वचा से समबंधित बीमारियों से बचने के लिए बताया, सर्दी में त्वचा से संबंधित कई तरह की बीमारियां शुरू हो जाती हैं। ऐसे में ये ऐसी बीमारियां हैं, जिसका जरा ध्यान देने पर मरीज का आसानी से इलाज किया जा सकता है। चर्म रोग का डाक्टरी इलाज लेना ज्यादा लाभदायक रहता है, लेकिन कई तरह के देसी इलाज भी कारगर होते हैं।


उन्होंने बताया कि सर्दी में शरीर के अलग-अलग हिस्से में फंगल स्किन इंफेक्शन हो जाता है। लेकिन इसके लिए डाक्टर के बिना दिखाये कोई दवा ना लें। अगर डाक्टर के पास जाने पहले ज्यादा परेशानी है, तो नारियल का तेल यह कुछ देखी इलाज कर सकते हैं, लेकिन यह कुछ ही देर के लिए होने चाहिए।

सोरियासिस एक चर्म रोग


उन्होंने बताया कि एक प्रकार का चर्म रोग है, जिसमें त्वचा में सेल्स की तादाद बढऩे लगती है। शरीर की चमड़ी मोटी होने लगती है और उस पर एक सफेद परत जमने लगती है। अगर इसमें लाल रंग की परत बनती है, तो ज्यादा खतरे की आशंका होती है। यह ज्यादातर कोहनी, घुटनों, सिर में होता है। 15 से 40 आयु वालों पर सर्दी के दिनों यह रोग का ज्यादा होता है। इसके लिए डाक्टर से इलाज लें।

फंगल स्किन इंफेक्शन


उन्होंने बताया कि सर्दी में इसका सबसे ज्यादा खतरा रहता है। फंगल स्किन इंफेक्शन यह धीरे-धीरे शरीर के नम स्थानों में फैलता जाता है। जैसे पैर की एड़ी, नाखून, जननांगों और स्तन में। फंगल स्किन इंफेक्शन होने से शरीर के कई हिस्सों में खुजली होती है। क्योंकि यह सफेद से परत जम जाती है। शरीर में नमी के चलते फंगल स्किन इंफेक्शन बढ़ जाता है। इसके साथ हजी सर्दी में ज्यादातर बच्चे या बुजुर्ग को स्नान करने से रोका जाता है। जबकि सर्दी में हर रोज गर्म पानी से स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद शरीर पर सरसो या नारियल के तेल से हल्की मालिश करें। इससे शरीर में फंगल इंफेक्शन के चांस कम होगे।

दवाओं का बहुत ज्यादा इस्तेमाल


उन्होंने बताया कि फंगल इंफेक्शन हालांकि की शिकायत मानसून के दौरान होती है, लेकिन यह बीमारी अब सर्दियों में लोगों में हो रही है। इसकी जांच के लिए करीब 50-60 मरीज जांच के लिए पहुंच रहे हैंद्ध लेकिन इसका मुख्य कारण है बाजार में जो एंटी फंगल दवाएं जैसे फ्लूकोनेजॉल, टरबीनस्किन का बहुत ज्यादा इस्तेमाल हुआ। यह दवाएं जेनेरिक वर्जन में भी सस्ते दामों पर बिक्री होती हैै, लेकिन यह दवाएं इतनी ज्यादा उपयोग हुई कि फंगल बैक्टीरिया ने खुद को इन दवाओं के प्रति रेजिस्टेंस कर लिया। जिसके चलते दवाओं का असर न के बराबर हो गया।


इसी के चलते जहां यह साधारण सी बीमारी चार रुपए की कीमत में आने वाली एंटी फंगल दवाई एक सप्ताह तक लेने से ही ठीक हो जाती थी, वही अब 80 रुपए के कैप्सूल दो महीने तक लगातार लेने के बाद भी यह ठीक नहीं हो रही है। क्योंकि रेजिस्टेंट फंगलज् में बदल चुका है। बीमारी को लंबे समय तक अनदेखा करना और अपने मन से बगैर जरूरी जांचों के दवाई लेने के चलते यह इंफेक्शन सौ गुना ज्यादा ताकतवर हुआ है।

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Web Title-In the winter there is a greater risk of skin diseases - Dr. Neeraj Mehta
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