जोधपुर। हिंदू रीति में प्रेम का वर्णन सदियों पुराना है और माना गया है कि प्रेम जीवन का वह रंग है जो खूबसूरत और सुंदर की परिभाषा के नजदीक लेकर जाता है। जोधपुर में गंगश्यामजी के ऐतिहासिक मंदिर में कोई एक दिन नहीं, बल्कि बसंत पंचमी से होली तक प्रेम का पराग प्रस्फुटित होता है। इस मंदिर में आपको मदहोश करने वाले मधुसदन का निकटम एहसास होगा। खूबसूरत रंग, मनभावन संगीत और प्रेम के पराग के फलने और फूलने का ऐसा सामंजस्य आपको इस मंदिर में देखने को मिलेगा।
मनमोहक मदन के राग को अपने मनमंदिर में बसाने वाले राजेन्द्र श्रोत्रिय कहते है कि आखिर क्यों प्रेम को एक निश्चित दिन की परिधि में बांधने के नाहक प्रयास हो रहे हैं। श्रीकृष्ण का अवतार हमारी संस्कृति का ऐसा वर्णन भी है, जिसमें इस शब्द का व्यापक विस्तार हमें जीवन दर्शन के रूप में मिलता है।
जोधपुर के गंगश्यामजी के मंदिर में बसंत ऋतु से शुरू होने वाले प्रेम के रंग होली तक खिलते हैं और यही वजह है कि यहां कान्हा के ऐसे गीत भी गाए जाते हैं जो इंसान के मन को अनंत आनंद के करीब लेकर जाते हैं।
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