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हुड्डा और तंवर के बीच निर्णायक है यह जंग

चंडीगढ़। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच शुुरू हुई जंग के लंबा चलने के आसार हैं। जंग का समाधान तंवर के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने या कांग्रेस आलाकमान के सीधे दखल पर ही संभव है। हुड्डा समर्थक विधायकों के हमले के बाद अब तंवर ने पलटवार किया है। तंवर समर्थकों ने राज्य में हुड्डा का पुतला फूंक कर प्रदेश अध्यक्ष के प्रति अपनी एकजुटता का प्रदर्शन किया है।
हुड्डा व तंवर के बीच छिड़ी इस जंग को निर्णायक माना जा रहा है। सब जानते हैं कि तंवर को हरियाणा कांग्रेस की बागडोर सौंपे जाने के साथ ही पार्टी के भीतर खींचतान शुरू हो गई थी। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों में टिकटों के बंटवारे के समय भी तंवर और हुड्डा के बीच मनमुटाव बढऩे की खबरें सामने आई थीं। अपने समर्थकों को टिकट नहीं दिलवा पाने पर तंवर ने अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश भी की थी। लोकसभा चुनाव में तंवर सिरसा से हार गए और हुड्डा की अगुवाई में हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए मैदान में उतरी कांग्रेस को भाजपा के हाथों मात खानी पड़ी। भले ही कांग्रेस केंद्र और हरियाणा में सत्ता से बाहर हो गई, लेकिन हुड्डा और तंवर के बीच अपनी ढफली-अपना राग वाली कहावत चरितार्थ होती रही। अब हालात और बिगड़े हैं।

हालांकि, हुड्डा ने खुद को अभी इस विवाद से दूर रखा है। पार्टी के ज्यादातर विधायकों के तंवर और कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी को उनके पदों से हटाए जाने की मांग को लेकर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में चंडीगढ़ में होने के बावजूद वे शामिल नहीं हुए। तंवर समर्थकों की ओर से उनका पुतला फूंके जाने पर भी उन्होंने अभी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है।
हुड्डा समर्थक विधायकों के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और विधायक दल की नेता को उनके पदों से हटाए जाने की मांग के बाद तंवर ने कहा कि जिन लोगों ने पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के पुतले फूंके हैं, उनमें से किसी ने भी उनसे कोई बात नहीं की है और न ही उन्होंने किसी को ऐसा करने के लिए कहा है।
तंवर का मानना है कि पार्टी आलाकमान ने उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी थी। पार्टी की मजबूती के लिए वे हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं। ऐसे समय में जब कांग्रेस विधायकों को जनहित के मुद्दों पर विधानसभा के बजट सत्र में मनोहर सरकार को घेरना चाहिए, उन्हें पद से हटाए जाने की मांग की जा रही है। उनका अध्यक्ष पद पर रहना, न रहना कांग्रेस आलाकमान को देखना है, लेकिन इस मौके पर जो कुछ हो रहा है, उसे जायज नहीं ठहराया जा सकता।



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Web Title-Hooda and decisive battle between Tanwar
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