जयललिता के देहांत के बाद शशिकला पार्टी की सबसे अहम धुरी थीं, लेकिन
उनकी ओर से पन्नीरसेल्वम की जगह खुद ही सीएम बनने के प्रयासों के चलते
विभाजन की स्थिति पैदा हुई है। पन्नीरसेल्वम ने सीएम रहते हुए पार्टी में
अपना असर छोड़ा है। पार्टी के लिए जयललिता का निधन सबसे बड़ा नुकसान था।
करिश्माई नेता की उनकी छवि और अपार जनसमर्थन के चलते ही वह 1991 के बाद से
तीन बार सरकार बनाने में सफल रही थीं। शशिकला को सजा के बाद अब माना जा रहा
है कि नए नेता भी द्रविड़ राजनीति में उभर सकते हैं। [@ उप्र चुनाव: राजनीति के दंगल में जनता की चौखट पर राजघराने]
इसी बीच लंबे समय
से वनवास झेल रही करुणानिधि की पार्टी द्रमुक के पास भी खुद को मजबूत करने
का मौका है। दोनों ही दलों की स्थिति इस बात पर निर्भर करेगी कि
पन्नीरसेल्वम या फिर पलनिसामी में से कौन सदन में अपना बहुमत साबित कर पाता
है। यदि हंग असेंबली की स्थिति होती है और नए चुनाव की संभावना बनती है तो
अन्नाद्रमुक की रार का फायदा सीधे तौर पर द्रमुक को मिल सकता है।
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