मैं यू तो गिरा संभला, फिर उठा और अब चलने लगा हु मेरा जन्म तो देश की आज़ादी के दौरान हुआ। जब मेरे घर के लोगो ने अंग्रेज़ों से लोहा लिया और अंग्रेज़ो को पीठ दिखानी पड़ गई पहले मेरा नाम बुलंदशहर हुआ करता था। इस बुलंदशहर से ही अंग्रज़ो से मेरे लोगो ने कई लड़ाईया लड़ी। आज़ादी के महा संग्राम में 1857 से लेकर 1947 तक सभी निवासियो ने अपना योगदान दिया लेकिन मुख्यत( दादरी अब जिला गौतमबुद्ध नगर में है ) स्वतंत्रता सेनानी राव उम्राव सिंह ने अंग्रेज़ो से लोहा लिया था। लेकिन उस वक्त मुझको दर्द हुआ मैं खून के आंसू रोया जब मेरे आँगन में उनको फाँसी दे दी गई लेकिन उनकी मेहनत बेकार नहीं हुई और मुझको आज़ादी मिली। आज़ादी के बाद कुछ छेत्रीय पार्टियो ने मेरा बंटवारा कर दिया गया मेरा नाम भगवान् गौतमबुद्ध के नाम से रख दिया गया। गौतमबुद्ध नगर जिले का जन्म 9 जून 1997 को हुआ जिसका अब मुख्यालय सूरजपुर है। लेकिन मुझे राजनीती का शिकार होना पड़ा और मुझे ख़त्म करने की कोशिश भी की गई लेकिन लोगों ने मेरा साथ दिया और भारी विरोध के बाद मैं बच सका।
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