बिलासपुर। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आम बजट के साथ पेश रेल बजट में फिर हिमाचल की अनदेखी की गई। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण भानुपल्ली-बिलासपुर-लेह रेल मार्ग का जिक्र तक नहीं किया गया है। हिमाचल में भानुपल्ली-बिलासपुर रेललाइन को प्रदेश की तरक्की के लिए बेहद कारगर बताया जाता रहा है मगर जिस गति से यह चल रही है उसे देखकर लगता नहीं कि मौजूदा पीढ़ी भी उसे देख पाएगी। हैरानी तो इस बात की है कि इस रेल लाइन की ओर केंद्र सरकार का ध्यान ही नहीं है और न ही इसे राष्ट्रीय धरोहर माना जा रहा है। हिमाचल जैसे गरीब प्रदेश से इस परियोजना की कुल लागत का 25 प्रतिशत भाग मांगा जा रहा है। यही नहीं यह भी कहा जा रहा है कि जो भी जमीन अधिगृहीत होगी उसका मुआवजा भी हिमाचल सरकार ही देगी। [@ फलों से मिठाईयां बनाने के गुर सीख रहीं महिलाए्ं] [@ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
यह हिमाचल के लिए संभव नहीं दिखता क्योंकि जमीन का अधिग्रहण करने पर जो राशि व्यय होनी है वह ही अनुमानित तौर पर एक हजार करोड़ के आस पास बनती है। यही नहीं इस परियोजना को क्रियान्वित करवाने में हिमाचल के सांसदों का भी दृष्टिकोण सही नहीं है। ऐसा लगता है कि अभी भी हिमाचल के सांसद रेल लाइन के बारे में सजग नहीं हैं। अगर उत्तराखंड की बात की जाए तो वह प्रदेश भी हिमाचल जैसी स्थितियों वाला है। वहां पर रुद्र प्रयाग में रेल लाइन का निर्माण किया जाना है और उस रेल लाइन को वहां के सांसदों ने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण घोषित करवा लिया है और उस पर सारा व्यय केंद्र सरकार ही कर रही है। जानकारों की राय में यह मुद्दा नहीं बनना चाहिए कि यह रेल पठानकोट से आए या फिर भानुपल्ली से। प्रदेश के सांसदों को एकजुटता दिखानी चाहिए वरना खींचतान में प्रोजेक्ट लटकते रहेंगे। यदि अहम टकराते रहे तो रेल की कूक बाहरी प्रदेशों में ही गूंजती रहेगी।
हिमाचल हमेशा पिछली कतार में ही रहेगा। इस बार भी बजट में इस रेल लाइन का जिक्र तक नहीं हो पाया। यह भी पता चला है कि पिछले कई वर्षों से कागजों में बन रही भानुपल्ली-बिलासपुर-लेह रेल लाइन की जमीन का अधिग्रहण पंजाब में हो रहे चुनावों के कारण एक बार फिर टल गया है। हालांकि जिला प्रशासन ने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस परियोजना के लिए जमीन का अधिग्रहण करने की तैयारी पूरी कर दी थी लेकिन पंजाब के साथ लगती जमीन पर विवाद होने के कारण जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। इस रेल लाइन का पहले चरण का सर्वे पूरा होने के बाद जिला प्रशासन ने इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए पहले चरण के सर्वे के आधार पर जमीन अधिग्रहण करने की योजना को अंतिम रूप दे दिया था ताकि पिछले करीब 30 वर्षों से कागजों में उलझी इस रेल लाइन के बनने का रास्ता साफ हो सके लेकिन पंजाब राज्य के साथ लगती सीमा झीड़ा आदि में सीमा रेखा पर जमीन का विवाद उत्पन्न हो जाने से जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई।
सीमा पर उत्पन्न हुए इस विवाद को टालने के लिए अब जिला प्रशासन ने पंजाब के आनंदपुर साहिब के एसडीएम और बिलासपुर सदर के एसडीएम के मध्य स्पॉट विजिट करके इस विवाद को हल करने का निर्णय लिया है। इसके लिए दोनों एसडीएम मौके का निरीक्षण कर समस्या का हल खोजेंगे और इसके बाद जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। जिला प्रशासन ने इस रेल लाइन के लिए जमीन का अधिग्रहण करने के लिए राजस्व विभाग द्वारा किसी प्रकार का नोटिस लोगों को नहीं दिए जाने का निर्णय लिया है बल्कि जमीन का अधिग्रहण प्रत्येक गांव में लोगों से मोलभाव (नेगोशिएसन) करके किया जाएगा।
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