नई दिल्ली। भारत में साल 2015 में तपेदिक (टीबी) से मरनेवालों की संख्या
4,80,000 थी, जो साल 2014 में इस रोग से हुई 2,20,000 मौतों से दोगुनी है।
इसका कारण है कि पहले की मौतों के जो अनुमान लगाए गए थे, वे गलत थे। यह बात
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वैश्विक तपेदिक रिपोर्ट से सामने
आई है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया की 27 फीसदी टीबी के
मामले भारत में हैं। देश में यह सबसे घातक संक्रामक रोग है। साल 2015 में
देश में 28 लाख टीबी के नए मामले सामने आए, जबकि 2014 में नए मामलों की
संख्या 22 लाख थी।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में सबसे
ज्यादा टीबी के मामले भारत में पाए जाते हैं। वहीं, वैश्विक स्तर पर भी यह
96 लाख से बढक़र 1.04 करोड़ हो चुकी है। भारत में टीबी की दवा के खिलाफ
प्रतिरोधी क्षमता रखनेवाले मरीजों की संख्या 2015 में 79,000 थी, जो 2014
के मुकाबले 11 फीसदी अधिक है। नए टीबी के मामलों में करीब 2.5 फीसदी मामले
ऐसे आ रहे हैं, जिन्होंने टीबी की दवा के खिलाफ प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर
ली है और उन पर दवाइयों का कोई असर नहीं हो रहा।
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