सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि एकल पीठ ने उन पहलुओं और सुप्रीम कोर्ट
के फैसले को दरकिनार कर दिया जो उनके पक्ष में थे। साथ ही एकल पीठ के
फैसलों को दोषपूर्ण बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की थी।
सरकार ने
पीठ को बताया कि नेबरहुड (घर से स्कूल की दूरी) नीति के बगैर स्कूलों को
दाखिला देने की छूट देने से वे मनमानी करेंगे और अभिभावकों से फीस के नाम
पर वसूली करेंगे। जैन ने कहा कि एकल पीठ यह समझने में पूरी तरह से विफल रही
है कि नेबरहुड नीति बच्चों के हित में है और इससे उनका विकास होगा। साथ ही
कहा कि इससे स्कूलों की मनमर्जी पर लगाम लगेगा। सरकार ने कहा कि स्कूलों
को भूमि आवंटन की शर्तों का पालन करना ही होगा। सरकार ने 14 फरवरी के एकल
पीठ के फैसले को चुनौती दी है। इस मामले में सरकार के दाखिला नीति समर्थन
में गैर सरकारी संगठन की ओर से अधिवक्ता खगेशा झा ने पीठ को बताया कि जिस
प्रकार से स्कूलों को उनके द्वारा तय दिशा निर्देशों पर बच्चों को दाखिला
देने की छूट दी गई है, इससे वे अपनी मनमर्जी करेंगे। सरकारी जमीन पर बने
निजी स्कूलों में दाखिले के लिए केजरीवाल सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देश
को मनमाना और भेदभावपूर्ण बताते हुए हाईकोर्ट के एकल पीठ ने 14 फरवरी को
रोक लगा दी थी।
स्कूलों का पक्ष
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