शिमला। हिमालयी क्षेत्र के लिए स्कूल स्तर पर अलग से पाठ्यक्रम होना चाहिए, ताकि पर्वतीय राज्यों के विद्यार्थी स्वयं अपनी समस्याओं का समाधान कर सके तथा उनमें अपनी समृद्ध संस्कृति, रीति-रिवाजों एवं परम्पराओं के संरक्षण एवं संवर्द्धन के प्रति भावना विकसित हो सके। यह बात राज्यपाल ने शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में राष्ट्रीय पाक्षिक पत्रिका चाणक्य वार्ता द्वारा आयोजित एक समारोह के अवसर पर बोलते हुए कही। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय स्तर पर बनाई गई नीतियां एवं कार्यक्रम समूचे देश के लिए होते हैं लेकिन हिमालयी क्षेत्रों की समस्याएं भिन्न हैं। [@ छेड़छाड़ का विरोध करने पर महिला को सरेआम पीटा, वीडियो वायरल]
उन्होंने कहा कि क्षेत्र के विचार एवं सोच भी भिन्न हैं तथा विकास की संभावना पर कार्य करना अनिवार्य है। आचार्य देवव्रत ने कहा कि जहां तक पर्वतीय क्षेत्रों में चुनौतियों का प्रश्न है, यहां भौतिक एवं वैचारिक पहलु विद्यमान हैं तथा हमें क्षेत्र में पर्यटन विकास और आयुर्वेद के विस्तार की दिशा में कार्य करना चाहिए। उन्होंने क्षेत्र में जल स्त्रोतों के संरक्षण तथा पानी की बचत करने पर बल दिया। राज्यपाल ने कहा कि युवाओं की उर्जा का सदुपयोग सकारात्मक एवं सृजनात्मक गतिविधियों में किया जाना चाहिए और युवाओं को स्वयं को ज्ञान प्राप्ति, सामाजिक कार्यों तथा अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियों से जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवाओं के सक्रिय सहयोग एवं योगदान के बिना समाज से बुराईयों को समाप्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि यह चिंता की बात है कि युवा अपना जीवन नशाखोरी एवं मादक द्रव्यों के सेवन में बर्वाद कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कैशलैस आर्थिकी को अपनाना समय की मांग है और इस अभियान में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित बनाकर इसे सफल बनाना हमारी जिम्मेवारी है। राज्यपाल ने इस अवसर पर चाणक्य वार्ता के विशेष अंक का विमोचन भी किया। उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में कृष्ण भानू तथा विजय पुरी सहित विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली विभिन्न विभूतियों को भी सम्मानित किया। केन्द्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के कुलपति डा. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में रह रहे लोगों को अनेक व्यावहारिक कठिनाईयां का सामना करना पड़ता है, जिसमें बेरोजगारी एक मुख्य समस्या है। राज्य में पर्यटन विकास पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि दूरदर्शिता, नवोन्मेषण तथा प्रतिबद्धता के माध्यम से इस दिशा में हमें नई संभावनाओं का सृजन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र के राज्यों के लिए समान मंच उपलब्ध करवाया जाना चाहिए क्योंकि इन राज्यों की समस्याएं एवं चुनौतियां एक समान होने के कारण इन पर परिचर्चा कर सौहार्दपूर्ण समाधान किया जा सकता है। प्रख्यात लेखक एवं स्तम्भकार लक्ष्मी नारायण भल्ला ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए। चाणक्य वार्ता के प्रकाशक एवं सम्पादक डा. अमित जैन ने राज्यपाल का स्वागत किया तथा पत्रिका द्वारा समस-समय पर उजागर किए गए विभिन्न विषयों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि समूचे विश्व में पत्रिका के बड़ी संख्या में पाठक हैं और पत्रिका का ऑनलाईन अंक भी उपलब्ध है। चाणक्य वार्ता के उत्तरी भारत के प्रभारी विशाल शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
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