नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने
तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश दौरे को हरी झंडी दे दी है।
उनका यह दौरा अगले साल के शुरू में प्रस्तावित है। भारत के इस कदम से चीन
की नाराजगी बढ़ सकती है। चीन चंद दिनों पहले ही भारत में अमेरिका के राजदूत
रिचर्ड वर्मा के नॉर्थ-ईस्ट के इस राज्य के दौरे पर विरोध जता चुका है।
हालांकि, विदेश मंत्रालय ने चीन की उस आपत्ति को खारिज कर दिया था, जो 21
अक्टूबर को वर्मा के अरुणाचल के तवांग दौरे को लेकर थी। मंत्रालय का कहना
था कि यह राज्य भारत का अभिन्न हिस्सा है।
बता दें कि चीन अरुणाचल
प्रदेश पर अपना दावा करता है और इसे भारत का हिस्सा नहीं मानता है। वह
राज्य के 83,500 वर्ग किलोमीटर पर अपना दावा जताता है। सूत्रों ने बताया कि
सरकार ने तिब्बत के निर्वासित नेता दलाई लामा के प्रस्तावित अरुणाचल
प्रदेश दौरे को मंजूरी दे दी है। इस कदम से चीन की बेचैनी बढ़ेगी। चीन ने
2009 में भी दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश दौरे का विरोध किया था। मौजूदा
दलाई लामा 1959 में तवांग के जरिये चीन से भारत पहुंचे थे। इससे पहले के भी
एक दलाई लामा का जन्म तवांग में हुआ था।
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