इलाहाबाह हाई कोर्ट के जस्टिस वीके शुक्ल और एमसी त्रिपाठी की बेंच ने यह
फैसला सुनाया। याचिकाकर्ता का कहना था कि हाईवे अथॉरिटी को एनएच-2 पर
आगरा-इटावा 6 लेन बाईपास बनाने के लिए जमीन चाहिए थी और इसके दौरान ही चर्च
की जमीन को भी अपने अधिकार में ले लिया गया।
याचिका दाखिल करने वालों ने प्रार्थना स्थल (विशेष प्रावधान) कानून, 1991
का हवाला दिया और कहा कि ऎसी जगहों को किसी और इस्तेमाल में लाने पर रोक
है। इस दलील को नकारते हुए कोर्ट ने साफ किया कि कानून में किसी एक समुदाय
विशेष के प्रार्थना स्थल को किसी और समुदाय के प्रार्थना स्थल में बदलने पर
प्रतिबंध है।
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