झुंझुनू। जिला बीडीके अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. बीडी बाजिया व उनकी टीम ने एक मां को खुशी और एक बच्ची को नया जीवन दिया है। दो महीने 17 दिन के इलाज के बाद गुरुवार को बच्ची को मां के साथ अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। [@ शादीशुदा सरपंच बना मजनूं, महिला के साथ बातचीत की ऑडियो हुई वायरल]
जानकारी के मुताबिक यूपी की सीता अपने परिवार के साथ झुंझुनूं में ही रहती है। परिवार मजदूरी करता है। सीता मान बैठी थी कि उसे मातृत्व का सुख कभी नहीं मिलेगा। वह चार बार गर्भवती भी हुई, लेकिन चारों ही बार गर्भपात हो गया। पांचवीं बार साढ़े छह महीने में सीता ने एक बच्ची को जन्म तो दे दिया, लेकिन बच्ची का वजन महज 600 ग्राम था, जबकि सामान्य तौर पर नवजात दो से ढाई किलो के बीच होते हैं। ऐसे में इस बच्ची को लेकर भी परिवार और सीता ने आस छोड़ दी थी। बच्ची नीली पड़ गई थी और सांस भी नहीं ले पा रही थी। ऐसे में उसे अस्पताल लाया गया तो शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. बीडी बाजिया ने उसे जयपुर रेफर किया, लेकिन सीता ने परिवार की तंगहाली बताई और यहां के चिकित्सकों पर ही बच्ची का जीवन छोड़ दिया।
सीता के हालात को देख चिकित्सक डॉ. बाजिया और उनके स्टाफ ने यह चुनौती ली। दो महीने 17 दिन के बाद बच्ची को स्वस्थ करके भेजा। यह राजस्थान में ही अलग मामला बताया जा रहा है। वहीं सीता भी अपनी स्वस्थ बच्ची को देखकर चिकित्सकों को धन्यवाद कहती नहीं थक रही है। डॉ. बाजिया ने बताया कि एनआईसीयू यूनिट के कारण और पूरी टीम की मेहनत से यह करिश्मा हो पाया है।
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