सवाई माधोपुर। किसी जमाने में चेरापूंजी कहलाने वाली अरावली पर्वत मालाओं से घिरा सवाई माधोपुर जिला वैसे तो आज भी देश और दुनिया में परिचय का मोहताज नहीं है, रणथम्भौर नेशनल पार्क का नाम विश्व के पर्यटन मानचित्र पर सुनहरे अक्षरों में अंकित है। टाइगर की एक झलक पाने के लिए सात समंदर पार से पर्यटक यहां खिंचे चले आते हैं। रणथम्भौर नेशनल पार्क के माध्यम से सरकार को रोज लाखों रुपए के राजस्व की प्राप्ति होती है, मगर फिर भी सवाई माधोपुर शहर अपनी बदहाली के आंसू रो रहा है। गुरुवार को सवाई माधोपुर शहर का 254वां स्थापना दिवस विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर मनाया गया। सवाई माधोपुर की स्थापना 19 जनवरी 1763 को सवाई माधोसिंह प्रथम ने की। स्थापना के बाद यहां कई उद्योग धंधे शुरू हुए, लेकिन किसी न किसी कारण वश या तो उन्हें बंद कर दिया गया या फिर अन्यत्र शिफ्ट कर दिया गया। इसके अलावा रणथम्भौर अभ्यारण में प्रदूषण फैलने से रोकने की कवायद के बीच सरकार ने कई उद्योग धंधे बंद करा दिए। इससे सवाई माधोपुर ने स्थापना के बाद से विकास ज्यादा खोया है और पाया कम है। [@ Exclusive सरकार के इन विभागों से लोग सबसे ज्यादा दुखी...]
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