दरअसल, कांग्रेस के तत्कालीन हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान करीब
900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर उसे बिल्डर्स को औने-पौने दाम पर बेचने का
आरोप है। इस मामले में 17 सितम्बर 2015 को भाजपा की खट्टर सरकार ने सीबीआई
को सौंपा था। इसके बाद सीबीआई ने हुड्डा और संबंधित अधिकारियों और प्राइवेट
बिल्डर्स के खिलाफ जमीन अधिग्रहण में कथित अनियमितता को लेकर मामला दर्ज
किया था।
हुड्डा सरकार के समय मानेसर के तीन गांवों की करीब 400 एकड़
जमीन अधिग्रहण के बाद बिल्डरों को बेच दी थी, जिसके बाद अधिग्रहण में
धांधली का आरोप लगने के बाद सितंबर 2015 में अज्ञात अफसरों व अज्ञात लोगों
के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया। हरियाणा सरकार ने आईएमटी
मानेसर की स्थापना के लिए 900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने के लिए मानेसर,
नौरंगपुर और लखनौला के ग्रामीणों को सेक्शन 4, 6 और 9 के नोटिस थमा दिए थे।
जमीन अधिग्रहण की पूरी प्रकिया पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के
कार्यकाल में की गई थी। इसके बाद प्राइवेट बिल्डर्स ने किसानों को
अधिग्रहण की धमकी देकर जमीनों के सौदे शुरू कर दिए और उनकी जमीन कम कीमतों
पर खरीद ली। इसी दौरान डायरेक्टर इंडस्ट्रीज ने 24 अगस्त 2007 को सरकारी
नियमों की अवहेलना करते हुए बिल्डर द्वारा खरीदी गई जमीन को अधिग्रहण
प्रक्रिया से मुक्त कर दिया। इस मामले में पहले गुडग़ांव पुलिस ने केस दर्ज
किया था लेकिन बाद में सरकार ने सीबीआई को केस सौंप दिया था।
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