बागपत। पूर्व केंद्रीय
मंत्री व राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के मुखिया अजित सिंह के लिए बागपत कभी उनका दुर्ग
हुआ करता था। अब वह बात नहीं रह गई है। [@ Breaking News : अब घर बैठे पाए Free JIO sim होम डिलीवरी जानने के लिए यहाँ क्लिक करे]
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस सीट पर इस बार अजित
सिंह के पूर्व सहयोगी उनकी प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक पार्टियों के टिकट पर चुनाव लड़
रहे हैं, जबकि खुद उनकी पार्टी ने एक बाहरी को यहां से चुनाव मैदान में उतारा है।
अजित सिंह बागपत से लगातार छह बार सांसद चुने गए थे।
उनके पिता चौधरी चरण सिंह तीन बार यहां से सांसद चुने गए थे। 2014 के लोकसभा चुनाव
में अजित सिंह को भाजपा प्रत्याशी व मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त सत्यपाल सिंह ने हराया
था।
प्रतिष्ठा दांव पर है, इसलिए अजित सिह इस सीट पर पार्टी
की जीत के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं और उनकी इन कोशिशों की राह में खड़े हैं उनके
ही दो पूर्व सहयोगी।
अजित सिंह ने बागपत सीट पर गुज्जर समाज से संबंध रखने
वाले करतार सिह भड़ाना को उतारा है। भड़ाना खतौली से विधायक रह चुके हैं। बसपा के अहमद
हमीद और भाजपा के योगेश धामा से उनका कड़ा मुकाबला है।
हमीद पूर्व मंत्री नवाब कोकब हमीद खान के बेटे हैं जो
बागपत का पांच बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 1985 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर
चुनाव जीता था। इसके बाद दो चुनाव में वह हारे। 1993 में वह फिर जीते। 1996 में उन्होंने
अजित सिंह की भारतीय किसान कामगार पार्टी की सदस्यता ली और चुनाव जीता। 2002 और
2007 में उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
हमीद मुस्लिम-दलित मतों और अपने पिता की छवि के बल पर
चुनाव में जीत की उम्मीद लगाए हुए हैं।
भाजपा के धामा जाट समुदाय से हैं और उनका ध्यान अपने
पक्ष में युवा जाटों और अन्य को करने पर है। एक जमाने में धामा, अजित सिह के विश्वासपात्र
हुआ करते थे। जब उन्हें रालोद का टिकट नहीं मिला तो वह भाजपा में शामिल हो गए।
रालोद प्रत्याशी भड़ाना की कोशिश गुज्जर-मुस्लिम-जाट
मतदाताओं को अपने पाले में करने की रही है। हेलीकाप्टर से प्रचार ने भी लोगों का ध्यान
उनकी तरफ खींचा है।
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन ने यहां से कुलदीप
उज्जवल को मैदान में उतारा है। उन्हें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का करीबी माना जाता
है। उनका जोर मुस्लिम-जाट एवं अन्य मतों को अपने पाले में करने पर है। उज्जवल जाट हैं
और कांग्रेस के प्रत्याशी हैं।
बागपत के तीन लाख मतदाताओं में 65,000 मुस्लिम,
50,000 हजार जाट और करीब 45,000 गुज्जर हैं। दलितों और राजपूतों की भी अच्छी संख्या
है।
वाहनों के पुर्जे बेचने वाली दुकान के मालिक मोहम्मद
अली (51) ने कहा कि बागपत में बसपा, भाजपा व रालोद के बीच चुनावी जंग है।
उन्होंने कहा, "नवाब साहब की अच्छी छवि रही है,
धर्म और जाति से परे रही है। वह सभी को स्वीकार्य हैं। उनके बेटे अहमद हमीद को इसका
लाभ मिलेगा। अगर उन्हें मुसलमानों के 60 फीसदी वोट भी मिल गए तो फिर उनके जीतने की
संभावनाएं बहुत अधिक होंगी।"
खास खबर डॉट कॉम : टॉप हैडलाइंस
कर्नाटक: पीएम मोदी के रोड शो के दौरान सुरक्षा में सेंध, एक गिरफ्तार
भाजपा के रविशंकर प्रसाद ने पूछा, क्या राहुल के लिए अलग कानून बने
Daily Horoscope