बीकानेर। पेयजल में फ्लोराइड की मात्रा 0.5 पीपीएम से ज्यादा हो तो ये आपकी हड्डियों व दांतों के लिए घातक हो सकती है। लगातार ऐसे पानी का सेवन करने से फ्लौरोसिस जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. देवेन्द्र चौधरी ने बताया कि हाल ही में फ्लोराइड अनुसंधान पर अंतरराष्ट्रीय सोसाइटी के हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पोषण संस्थान में आयोजित 33वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन में विशेषज्ञों ने इस बात का पुरजोर समर्थन किया कि फ्लौरोसिस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए भारत में पानी में फ्लोराइड के वर्तमान स्वीकृत मानक स्तर 1 पीपीएम को घटा कर 0.5 पीपीएम कर देना चाहिए। क्योंकि गरीब व दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रहे भारतीयों के भोजन में कैल्शियम, विटामिन व आयरन के अभाव के चलते 0.5 पीपीएम से अधिक मात्रा वाले पानी का लगातार सेवन भी फ्लौरोसिस दे सकता है। कांफ्रेंस में यह तथ्य भी उभरकर आया कि मात्र स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों के बजाय जलदाय विभाग, नगर/ग्रामीण निकाय, केमिस्ट व डेंटिस्ट का भी समन्वय आवश्यक है। 3 दिवसीय कांफ्रेंस में सोसाइटी के अध्यक्ष अरुण एल. खंडारे द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में फ्लोराइड टेस्टिंग लैब की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया। कांफ्रेस में बीकानेर से सीएमएचओ डॉ. देवेन्द्र चौधरी व जिला फ्लौरोसिस सलाहकार महेंद्र जायसवाल सहित राज्य नोडल अधिकारी डॉ. देवेन्द्र शर्मा व डॉ. दीपक चौधरी तथा राजस्थान के 17 जिलों के दलों ने भाग लिया।
क्या है फ्लौरोसिस
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