शिमला। मौसम के मेहरबान न होने से शिमला स्थित एशिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक आईस स्केटिंग रिंक सूना पड़ गया है। विंटर सीजन में आईस स्केटिंग के शौकीन इस रिंक पर बर्फ देखने के लिए तरस गए हैं। बर्फ जमने के लिए अनुकूल तापमान न बनने पर स्केटिंग रिंक में इस बार नेशनल लेवल की गेम्स को रद्द करना पड़ा है। संभवत: ऐसा पहली बार हुआ है कि मौसम के साथ न देने से आईएस स्केटिंग रिंक में होने वाली प्रतियोगिता अंतिम समय में रदद हुई है। विंटर सीजन में यहां हर वर्ष सर्दियों में आइस स्केटिंग की गतिविधियां आयोजित की जाती रही हैं। इसके अलावा दिसम्बर व जनवरी माह में विभिन्न स्तरों की आइस स्केटिंग प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। [@ Punjab election- चुनावी चौसर में दिग्गजों का आखिरी दांव चलना है बाकी]
राष्ट्रीय स्तर के आइस स्केटिंग के प्रशिक्षण शिविर भी यहां लगाए जाते रहे हैं। आयोजकों ने कुछ दिन पहले आईएस स्केटिंग रिंक पर स्केटिंग सत्र शुरू किए थे लेकिन तापमान न गिरने की वजह से यह सत्र कुछ ही दिन चल पाए। दिसम्बर के महीने में शिमला करीब 30 साल में सबसे ज्यादा गर्म रहा। बर्फ जमने के लिए न्यूनतम तापमान शून्य डिग्री अथवा इससे नीचे होना जरूरी है लेकिन इसके विपरीत शिमला में मौजूदा विंटर सीजन में न्यूतनम तापमान एक बार भी शून्य तक नहीं पहुंचा। क्रिसमस पर हुए हिमपात के दौरान यहां न्यूनतम तापमान पहली बार 3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।
दिलचस्प बात यह है कि इस बार आईएस स्केटिंग रिंक में नाममात्र अभ्यास सत्र ही आयोजित हो पाए। इस प्राकृतिक रिंक में आमतौर पर नवम्बर महीने के मध्य में आइस स्केटिंग आरम्भ हो जाती थी लेकिन पिछले कुछ सालों से ग्लोबल वार्मिंग का यहां पर भी असर पड़ा है। उल्लेखनीय है कि 1920 में स्थापति इस रिंग में आमतौर पर नवंबर के अंत और दिसंबर की शुरुआत से स्केटिंग शुरू हो जाती है जो फरवरी मध्य तक जारी रहती है।
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