जयपुर। प्रदेश में कृषक राजपूत सहित 13 जातियों का अतिरिक्त पिछड़ा वर्ग का आरक्षण समाप्त करने के संबंध में राजस्थान उच्च न्यायालय की जोधपुर बेंच द्वारा दिये गये निर्णय के विरुद्ध राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने के लिए सहमति व्यक्त की है।
ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री राजेन्द्र राठौड़ की मौजूदगी में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरूण चतुर्वेदी ने सिवाना विधायक हम्मीर सिंह भायल के नेतृत्व में मिले प्रतिनिधिमण्डल को यह सहमति व्यक्त की। प्रतिनिधिमण्डल में कल्याणपुर व लूणी के प्रधान, बालोतरा के पूर्व उपप्रधान सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण एवं इन जातियों के सामाजिक नेता मौजूद थे। चतुर्वेदी ने बताया कि राज्य सरकार शीघ्र ही इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही कर सर्वोच्च न्यायालय में अपील करेगी।
विधायक हम्मीर सिंह भायल ने बताया कि इन 13 जातियों को अतिरिक्त पिछड़ा वर्ग में शामिल करने के बाद सरकारी नौकरियों के साथ ही पंचायतराज संस्थाओं में भी प्रतिनिधित्व करने का अवसर प्राप्त हुआ। वर्तमान में इन जातियों के 40 से 50 सरपंच, 15 से 20 पंचायत समिति सदस्य, 2 प्रधान एवं 8 से 10 जिला परिषद सदस्य कार्य कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 10 मई 2013 को राज्य सरकार ने कृषक (करसा) राजपूत (खरवड़, चंदाना, ऊठंड, परमार, कडेचा, तलादरा, दिया, गुल, दषाणा) के नाम से पिछड़ा वर्ग में सम्मिलित किया था। राजस्थान उच्च न्यायालय की जोधपुर बेंच ने 5 जनवरी को अपने निर्णय में कुम्भलगढ़, राजसंमद एवं नाथद्वारा तहसीलों के अतिरिक्त अन्य सभी क्षेत्रों इस आरक्षण को अपास्त कर दिया था।
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