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फडणवीस को ध्वनिमत से विश्वास, कांग्रेस-शिवसेना को ना आया रास

news fadnavis gets vote of confidence by voice vote congress shivsena opposes - India News in Hindi

मुंबई। महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार ने बुधवार को विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया। देवेन्द्र फडणवीस सरकार का विश्वासमत प्रस्ताव विधानसभा में ध्वनिमत से पास हो गया। विधायक आशीष शेलार द्वारा रखा गया विश्वास मत प्रस्ताव सदन में पारित हो गया जहां सत्तारूढ सरकार अल्पमत में है। शिवसेना विधायक मत विभाजन की मांग करते हुए आसन के समक्ष आ गए। अध्यक्ष हरिभाऊ बागडे ने शोरशराबे के बीच घोषणा की, विश्वास मत पारित हो गया है। शिवसेना नेता रामदास कदम ने कहा कि बीजेपी सरकार ने महाराष्ट्र के लोगों के साथ विश्वासघात किया है। शिवसेना के आक्रोशित सदस्यों ने कहा कि वह विश्वास मत का विरोध करेगी और मांग की कि इसके नेता एकनाथ शिन्दे को नेता विपक्ष का दर्जा दिया जाए। पार्टी ने नारेबाजी की। विधानसभा अध्यक्ष ने बाद में शिन्दे को सदन में नेता विपक्ष नियुक्त करने की घोषणा की। उन्होंने कांग्रेस से अपील की कि वह इस विश्वासमत के खिलाफ मिलकर राज्यपाल से शिकायत करे। शिवसेना ने सुबह ही विश्वासमत के दौरान फडणवीस सरकार के खिलाफ वोट देने का फैसला किया था,लेकिन एनसीपी पहले ही यह ऎलान कर चुकी थी कि वह बीजेपी सरकार को समर्थन देगी। इससे सरकार को बहुमत साबित करने में कोई अडचन नहीं थी। शिवसेना के सदस्यों द्वारा विश्वास मत को ध्वनिमत से पारित किए जाने पर आपत्ति जताए जाने और मत विभाजन की मांग किए जाने के बाद बागडे ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। जब कार्यवाही फिर से शुरू हुई तो उन्होंने शिंदे को सदन में नेता विपक्ष नियुक्त करने की घोषणा की।

गवर्नर को घेरा, सदन में हंगामा...

इसके बाद कांग्रेस-शिवसेना विधायकों ने गवर्नर के आगमन पर बाहर उनकी गाडी को आधा घंटे घेरे रखा व नारेबाजी की। बाद में हंगामे व राज्यपाल वापस जाओ के नारों के बीच गवर्नर विद्यासागर राव का अभिभाषण शुरू हुआ। उनके संबोधन के दौरान लगातार नारेबाजी होती रही। ये भी बताया गया कि गवर्नर के हाथ में चोट आई है। इससे पहले बीजेपी ने विधानसभा में स्पीकर का पद भी हासिल कर लिया। आखिरी घंटों में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी तीनों ने अपने उम्मीदवार हटा लिए जिसके बाद बीजेपी के हरिभाऊ बागडे निर्विरोध स्पीकर चुन लिए गए। वहीं शिवसेना के एकनाथ शिंदे नेता विपक्ष के तौर पर चुने गए हैं। इस मामले में फडणवीस ने ट्वीट किया कि मैं विधानसभा के सभी सदस्यों का धन्यवाद करना चाहता हूं, जिन्होंने हम पर भरोसा जताया। मैं भरोसा देता हूं कि हमारी सरकार का हर कदम महाराष्ट्र के लोगों के हित में होगा। ध्वनि मत से विश्वास मत पाने पर कांग्रेस ने भी ऎतराज जताया है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने सरकार से फिर से विश्वास मत हासिल करने की मांग की है।

यूं चुना नेता प्रतिपक्ष...

इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष ने कहा था कि वह नेता विपक्ष के पद की शिवसेना की मांग को विश्वास मत के बाद देखेंगे क्योंकि कांग्रेस ने भी दावा किया है और उन्हें कानूनी जटिलताओं का अध्ययन करना होगा । कांग्रेस ने इस आधार पर नेता विपक्ष के पद की मांग की थी कि शिवसेना भाजपानीत राजग का हिस्सा बनी हुई है। शिवसेना के सदस्यों द्वारा विश्वास मत को ध्वनि मत से पारित किए जाने पर आपत्ति जताए जाने और मत विभाजन की मांग किए जाने के बाद अध्यक्ष बागडे ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। जब कार्यवाही फिर से शुरू हुई तो अध्यक्ष ने शिन्दे को सदन में नेता विपक्ष नियुक्त करने की घोषणा की।

शिवसेना बोली,लोकतंत्र का गला घोंटा...

शिन्दे के नेतृत्व में शिवसेना विधायकों ने विश्वास मत को ध्वनि मत से पारित किए जाने को लेकर विरोध दर्ज कराया और कहा कि यह "लोकतंत्र का गला घोंटे जाने" के समान है। उन्होंने कहा,सदन नियमों और संविधान के मुताबिक चलना चाहिए और इसे कुचला नहीं जाना चाहिए । नयी सरकार लोकतंत्र का गला घोंट रही है । हमने मत विभाजन की मांग की थी, लेकिन विश्वास मत ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। उनके तर्क को खारिज करते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने कहा,मुद्दा खत्म हो गया है। विश्वास मत पारित हो गया है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने मुद्दे पर शिन्दे से कहा, "यद्यपि आपके नाम के पद के साथ विपक्ष शब्द जुडा है, लेकिन आपसे उम्मीद यह है कि आपको हर चीज और हर मुद्दे का विरोध नहीं करना चाहिए तथा लोक हित के फैसलों में सरकार का समर्थन करना चाहिए।

जनता भाजपा सरकार को माफ नहीं करेंगी...

शिवसेना के नेता रामदास कदम ने कहा,"विधानसभा आज कलंकित हो गई।" उन्होंने दावा किया कि क्योंकि सरकार के पास सदन में बहुमत नहीं है, इसलिए उसने विश्वास मत के लिए हेरफेर किया । कदम ने कहा, "मत विभाजन से यह स्पष्ट होता कि क्या उनके पास अधिकतर विधायकों का समर्थन है। विश्वास मत पारित नहीं हुआ है।" विधानसभा अध्यक्ष के आचरण के बारे में सवाल उठाते हुए कदम ने कहा कि वह राकांपा, जिसने सरकार को बाहर से समर्थन देने की घोषणा की है, सहित सभी गैर भाजपा विधायकों से बात करेंगे कि क्या उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "भाजपा सरकार ने जो किया है, उसके लिए महाराष्ट्र के लोग भाजपा सरकार को माफ नहीं करेंगे।" कदम ने कहा कि बीजेपी पर धिक्कार है। उन्होंने कहा कि बीजेपी के 40 गडकरी समर्थक विधायक फडणवीस के समर्थन में नहीं थे। एकनाथ शिंदे ने आरोप लगाया कि फडणवीस सरकार का विश्वासमत असंवैधानिक है।

चव्हाण बोले,ध्वनिमत से विश्वास मत अपूर्व...

बाद में,विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि विश्वास मत को ध्वनि मत से पारित किया जाना "अपूर्व" है। उन्होंने मांग की कि सरकार को मत विभाजन के जरिए नए सिरे से विश्वास हासिल करना चाहिए। उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र में लोकतांत्रिक प्रक्रिया में यह एक काला दिन है। ध्वनि मत से कभी भी विश्वास मत पारित नहीं हुआ है। जब तक सरकार मत विभाजन के जरिए विधानसभा में बहुमत साबित नहीं करती तब तक सरकार अवैध है।" प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष माणिक राव ठाकरे ने कहा कि प्रस्ताव पारित नहीं हुआ है क्योंकि मत विभाजन नहीं हुआ। उन्होंने कहा,"अल्पमत की सरकार होने के नाते प्रस्ताव को मत विभाजन के जरिए पारित कराना सरकार का दायित्व था। उनके पास (बहुमत से) करीब 25 विधायक कम हैं। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार संसद में एक वोट से गिर गई थी।" ठाकरे ने कहा,"हम बहुमत की जोडतोड के सभी प्रयासों को विफल कर देंगे और तब तक विधानसभा नहीं चलने देंगे जब तक कि सरकार नए सिरे से विश्वास मत हासिल नहीं कर लेती।" उन्होंने कहा कि पार्टी विधायक औपचारिक शिकायत दर्ज कराने के लिए राज्यपाल सी विद्यासागर राव से मिलेंगे ।

सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी...

कांग्रेस और शिवसेना ने इसे काला दिन बताते हुए कहा है कि देवेंद्र फडणवीस को दोबारा विश्वास मत पास कराना चाहिए। दोनों पार्टियों ने राज्यपाल से शिकायत करने की भी बात कही है। बीजेपी ने एक रणनीति के तहत विश्वास मत में मत विभाजन के बजाय ध्वनि मत का सहारा लिया। इसके जरिए बीजेपी ने एनसीपी का सपोर्ट ले भी लिया और वह सपोर्ट लेती दिखी भी नहीं। विश्वास मत के बाद जब एनसीपी नेता से पूछा गया कि उन्होंने सरकार के पक्ष में वोट दिया या विपक्ष में तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। लेकिन, एनसीपी के सपोर्ट के बिना तो बीजेपी सरकार बन ही नहीं सकती थी क्योंकि बहुमत के लिए जरूरी विधायक उसके पास नहीं हैं। बीजेपी एनसीपी का समर्थन लेते दिखना नहीं चाहती थी। इसलिए सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी।

फडणवीस की उद्धव से हुई बात...

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार देर रात शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से फोन कर विश्वासमत और अध्यक्ष पद के चुनाव में समर्थन की अपील की थी। सुबह इसका आंशिक असर दिखा शिवसेना के विजय कुमार औटी ने अपना नाम वापस ले लिया और बाद में कांग्रेस की वर्षा गायकवाड भी रेस से हट गईं। इस तरह बीजेपी विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में शक्ति परीक्षण से बच गई और परंपरा के मुताबिक हरिभाऊ बागडे सर्वसम्मति से विधानसभा अध्यक्ष चुन लिए गए। विश्वास मत को लेकर सुबह भी बीजेपी और शिवसेना की बातचीत जारी रही, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला। शिवसेना के विरोध और एनसीपी के वोट के बिना विश्वास मत हासिल करके मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने फिलहाल बडी राहत पा ली है। अगर बीजेपी को एनसीपी का समर्थन लेना पडता तो उसके लिए अजीब स्थिति पैदा हो सकती थी। बीजेपी ने पूरे चुनाव अभियान के दौरान एनसीपी के खिलाफ तीखा हमला बोला था और उसे नैचरल करप्ट पार्टी बताया था।

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