उदयपुर। साईकोसिस बीमारी के मरीज एक सीए स्टूडेण्ट ने अपने सनकीपन के चलते महिला अधिवक्ता की नृशंस हत्या कर दी। हत्या के बाद से ही पूरे मामले को कभी लव ट्राईंगल, घरेलू झगडे तो कभी ऑनर किलींग से जोडकर पुलिस अपनी जांच करती रही। अपनी जांच मे पुलिस मृतका के पति के.वी. गुप्ता को ही हत्यारा मान रही थी, पर आखिरकार पुलिस की जांच जा कर अटकी पडौसी युवक पर जिसके बाद हुआ इस मर्डर मिस्ट्री का सनसनीखेज खुलासा।
इतने वार किये, की खुद भी भुल गया हत्यारा
उदयपुर के बहुचर्चित हत्याकांडो में से एक अधिवक्ता रुचिका गुप्ता की जिन्दगी सिर्फ साइकोसिस नामक बिमारी के भेट चढ़ गयी। जी हां बिल्कुल दिव्य नाम के इस आरोपी को यह बिमारी थी जिसके चलते उसने रुचिता को मौत के घाट उतार दिया ! पुलिस को इस मर्डर मिस्ट्री को खोलने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी। इस मामले में सबसे पहले शक की सूई रूचि के पति केबी गुप्ता पर जा कर अटकी लेकिन पूछताछ मे ऐसा कोई भी क्लू पुलिस के हाथ नही लगा।जांच के दौरान ही पुलिस को दिव्य के कमरे से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ जिसमे उसने रूचि को नहीं मारने की बात लिखी। पर पुलिस ने उस सुसाईड नोट को गंभीरता से नहीं लिया गया। रूचि के परिजनों ने भी केबी गुप्ता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जिसमे पति - पत्नि के बीच लम्बे समय से झगडे होने की बात सामने आई। जिससे पुलिस का शक सिर्फ उसके पति के उपर ही था। लेकिन जब दिव्य अपने द्वारा किये गये पछतावे का प्रायश्चित करने पुलिस चोकी पंहुचा तो पुलिस के होश उड गए। पुलिस के सामने दिव्य ने जाते ही रूचि की जघन्य हत्या करना कबूल कर लिया, लेकिन इसके पीछे कोई ठोस वजह नहीं होने के कारण पुलिस ने इसे मानसिक अवसाद से पीडि़त मानते हुए गंभीरता से नहीं लिया। पुलिस अधिकारियो के सामने जब बार बार उसने रूचि की गलती से हत्या की बात करना कबूला तो पुलिस ने इसे फिर गंभीरता से लेना शुरू किया। पुलिस ने सबसे पहले दिव्य और रूचि के मोबाइल के लोकेशन की जानकारी जुटाई तो मौत की ये कहानी सबके सामने खुलकर सामने आ गयी।
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