जयपुर। आबकारी विभाग 1975-76 से अब तक 403 बकायादारों से 197 करोड़ रुपए वसूल करने में नाकाम रहा है। इनमें से करीब 40 पर वसूली के लिए कोर्ट में केस चल रहा है। वसूली के लिए विभाग ने इन तीस सालों में करीब 10 हजार से ज्यादा नोटिस भेजे, लेकिन किसी भी बकायादार या उनके वारिसों ने राशि जमा नहीं कराई। वसूली के लिए विभाग अब मुखबिरों के जरिए जानकारी जुटाने का प्रयास कर रहा है। आबकारी विभाग ने पहली बार सभी 403 बकायादारों की सूची जारी की है। विभाग का मानना है कि इन बकायादारों की निविदा-पत्र में बताए पते के अलावा भी अन्य सम्पत्तियां हो सकती हैं, इनकी सम्पत्तियों की जानकारी मिलने पर कुर्क कर वसूली की जाएगी। जिनकी मृत्यु हो गई है, उनके वारिसों से राशि वसूली की जाएगी, बैंक खाते सीज़ किए जाएंगे। ठेका लेते समय इन अनुज्ञाधारियों (बकायादारों) ने अपना एवं अपने जमानतियों के स्वयं या सम्पत्तियों के जो पते विभाग को उपलब्ध कराए थे, जांच में उनमें से अधिकतर अधूरे पाए गए हैं। आबकारी विभाग ने मुखबिरों से बकायदारों से संबंधित 6 जानकारियां मांगी हैं। सही पते की जानकारी, टेलीफोन-मोबाइल नंबर, पैन कार्ड नंबर, बैंक खातों की जानकारी, सम्पत्ति की जानकारी या बकायदारों की मृत्यु होने की स्थिति में उनके वारिसों के पते या सम्पत्ति की जानकारी मुखबिरों के जरिए विभाग लेना चाह रहा है। सबसे ज्यादा जोधपुर संभाग के 102 बकायादारों से 51 करोड़ 44 लाख 35 हजार 643 रुपए वसूल करने हैं। जबकि सबसे कम 10 करोड़ 33 लाख 83 हजार 230 रुपए भरतपुर संभाग से वसूल करने हैं। आबकारी आयुक्त ओ.पी. यादव ने बताया कि प्रदेश के संभागवार बकायादारों की सूची जारी की है। इनके बारे में 6 तरह की जानकारी मुखबिरों के जरिए जुटाने का प्रयास है। इनकी या इनके वारिसों की सम्पत्ति कुर्क करेंगे, बैंक खाते सीज़ किए जाएंगे। विभाग का बकाया पैसा वसूल किया जाएगा। [@ छेड़छाड़ का विरोध करने पर महिला को सरेआम पीटा, वीडियो वायरल]
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