आगरा (सिद्धार्थ चतुर्वेदी)। अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लिए। जिंदगी की दूसरी पारी की शानदार शुरुआत। लेकिन न जाने किसी नजर लग गई। सात फेरे लेकर जिंदगीभर एक-दूसरे का साथ निभाने की कसमें सात महीने में ही टूटने लगीं। तलाक के लिए कोर्ट के दरवाजे खटखटाए जाने लगे। आपाधापी भरी जिंदगी में पति-पत्नी के बीच तनाव हावी हो रहा है।
आंकड़ों पर गौर किया जाए तो आगरा जिले में हर रोज एक से अधिक तलाक हो रहे हैं। पिछले साल की तुलना में यह आंकड़ा तीन परसेंट तक बढ़ गया है।
जनवरी 2015 से दिसंबर 2016 के बीच जहां हरेक 48 घंटे में एक तलाक हो रहा था, वहीं जनवरी 2016 से जनवरी 2017 के बीच तलाक की स्पीड हरेक 16 घंटे में एक तलाक पर जा पहुंची। जनवरी 2015 से दिसंबर 2016 की एक साल के टाइन में सबसे अधिक 28 तलाक जनवरी में हुए।
जनवरी 2016 से जनवरी 2017 के बीच सबसे अधिक तलाक अगस्त के महीने में हुए। जनवरी 2015 से दिसंबर 2016 की एक साल की अवधि में कुल 299 दंपत्तियों ने तलाक लिया। एक साल की इस अवधि में दो महीने न्यायालय खाली रहा। इसके अलावा साप्ताहिक अवकाश भी रहे। इस तरह से हरेक 16 घंटे में एक दंपती का तलाक हो रहा है।
न्यायालय के प्रयासों में जरा भी शिथिलता हो, तो यह आंकड़े कहीं अधिक हो सकते हैं। तलाक से पहले जज की ओर से हरेक एेसी सम्भावना की तलाश की जाती है, जिससे दंपत्ति की खुशहाल जिंदगी दागदार नहीं हो सके। इसके बाद भी तलाक के बढ़ते आंकड़े यह बताते हैं कि परिवारों के विघटन की स्थिति अब पति-पत्नी के बीच नई खाई पैदा कर रही है।
दीवानी में हर रोज कोई न कोई दुल्हन अपने हसीन ख्वाबों का कत्ल अपने हाथ से करती हुई नजर आती है। अग्नि को साक्षी मानकर लिए गए सात फेरों का बंधन सात महीने तक नहीं चल पा रहा है। पुरुषों की अपनी गम भरी दास्तां है। खुशहाल जिंदगी में जब तलाक की तलवार कयामत बनकर लटकती है, तो पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाती है।
पिछले लगभग बीस सालों से तलाक के मामले देख रहे एडवोकेट अरविंद कुमार गुप्ता का कहना है कि ज्यादातर मामलों में पत्नी की ओर से दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाया जाता है। इस आरोप के तहत लड़की द्वारा लड़के सहित उसके परिवार वालों पर भी दहेज मांगे जाने का आरोप लगाकर सीखचों के पीछे भेज दिया जाता है।
इसके विपरीत पति की ओर से दायर अधिकतर मामलों में पत्नी पर क्रूरता और चरित्रहीनता का आरोप लगाया जा रहा है। श्री गुप्ता का कहना है कि नपुंसकता तलाक के मामलों में एक बहुत बड़ा कारण होता है। चूंकि हमारे समाज के अपने दायरे हैं, इसलिए खुलकर इस मामले को कोई भी पति-पत्नी कोर्ट में लाने से बचती है। एेसे मामलों में दहेज उत्पीड़न को आधार बनाया जाता है। शादी के तीन महीने के बाद ही एक पत्नी ने इसलिए कोर्ट में तलाक की अर्जी दी क्योंकि उसकी दुर्घटना में मिले मुआवजे को उसका पति लेकर फरार हो गया था।
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