इलाहाबाद। यूपी में चुनाव से पहले अपना दल में पार्टी उत्तराधिकार
के लिये मचे घमासान पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना रूख स्पष्ट कर दिया है। हाईकोर्ट
ने कहा है कि चुनाव आयोग स्वयं यह तय करें कि अपना दल पर किसका अधिकार होगा। न्यायालय
के आदेश के बाद एक बार फिर से मामला पाला बदलकर आयोग की झोली में ही आ गिरा है। जहां
पूर्व में ही कृष्णा पटेल गुट को झटका दिया जा चुका है। जबकि केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया
पटेल आयोग से रजिस्ट्रेशन कराने के कारण लाभान्वित हुई थी।
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में यह मामला दायर
किया गया था। जिस पर कोर्ट ने अपना दल पर अधिकार का मामला भारत निर्वाचन आयोग को तय
करने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि अपना दल के पूर्व अध्यक्ष
सोनेलाल पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल और उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल के बीच पार्टी पर अधिकार
को लेकर हुए विवाद पर निर्वाचन आयोग ने मेरिट के आधार पर निर्णय नहीं लिया है। लिहाजा
आयोग पहले तो यह तय करें कि क्या वह ऐसे विवाद को सुन सकता है। यदि आयोग पाता है कि
वह किसी राजनैतिक दल पर इस प्रकार के विवाद में सुनवाई कर निर्णय दे सकता है तो एक
माह के भीतर वर्तमान विवाद पर फैसला दे।
मालूम हो कि आयोग ने कृष्णा पटेल व अनुप्रिया पटेल को निर्देश दिया
था कि पार्टी के अध्यक्ष का विवाद उनका अंदरूनी विवाद है जिसे वे सुलझा लें अन्यथा
आयोग किसी भी पक्ष को मान्यता नहीं देगा। वैसे भी अपना दल के पदाधिकारियों की कोई भी
मान्य सूची आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है।
बता दें कि अपना दल को सोने लाल पटेल ने बनाया और पंजीकृत कराया
था। उनके निधन के बाद सोने लाल की पत्नी कृष्णा पटेल, बेटी अनुप्रिया और पल्लवी ने
अपना दल को मजबूती दी।
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