मिर्जापुर। विद्यालय प्रबंधन की लेटलतीफी के
चलते चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 का जिले का शिक्षा बजट प्रभावित हो सकता है। यदि
ऐसा हुआ तो शिक्षकों को वेतन के लाले पड़ सकते हैं। अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क
किताबें, यूनिफार्म आदि मिलने वाली सरकारी सुविधाएं भी प्रभावित होंगी। हुआ यह है
कि यू-डेटा बेस फिडिंग किया जाना है। इसमें स्टूडेंट डेटा बेस मैंनेजमेंट इन्फॉरमेशन
सिस्टम (एसडीएमआईएस) फिडिंग के लिए जिले के सभी एक से कक्षा 12 तक के विद्यालयों
के छात्र-छात्राओं, टीचर, उपलब्ध संसाधन आदि की ऑनलाइन फिडिंग की जानी है। जिले के
कुल सरकारी, गैर सरकारी मान्यता प्राप्त, सीबीएसई, आईसीएसई, मदरा, संस्कृत बोर्ड
आदि लगभग 3400 स्कूलों के एक-एक जिम्मेदार शिक्षक, एबीआरसी आदि को प्रशिक्षण देकर
यू डेटा बेस सूचना फिडिंग के लिए प्रशिक्षत कर तत्काल सूचना देने के निर्देश दिए
गए। लेकिन हैरानी की बात यह है कि मुख्यालय से डेटा देने की निर्धारित समय सीमा
बीतने के एक महीने बाद भी महज चार सौ विद्यालय ही डेटा दे पाए हैं। [@ पंजाब चुनाव विशेषः लंबी में होगा त्रिकोणात्मक मुकाबला, बादल को घेरा]
इनमें सरकारी
अनुदान प्राप्त 80, समाज कल्याण विभाग के पांच और परिषदीय, माध्यमिक, नवोदय
विद्यालय को मिलाकर लगभाग 2284 लापरवाही स्कूलों की सूची में शुमार कर दिया गया
है। एमआईएस फिडिंग कर डीसी कंप्यूअर अरशद और एबीएसए मुख्यालय किरन बाला सिंह का
कहना है कि पिछले साल छह लाख छात्रों का डेटा फिडिंग हुआ था। अब मुसीबत यह है कि
अगर एक-दो दिन में डेटा विद्यालयों ने दे भी दिया तो इनको फीड कराना चुनौती से कम
नहीं होगा।
इनकी उपलब्धि दयनीय
शिक्षण प्रशिक्षण के मामले में अपडेट माने जाने
वाला जवाहर नवोदय विद्यालय की स्थिति दयनीय है। बार-बार सूचना चेतावनी के बावजूद
डेटा नहीं दिया गया। मदरसा, समाज कल्याण विभाग के विद्यालय भी लापरवाही की कतार
में हैं।
दस प्रतिशत से कम मिला डेटा
जिले के छानबे, हलिया, लालगंज, मझवा, सिटी
ब्लॉक, नगर पालिका, नरायनपुर आदि ब्लॉक से सिर्फ दस प्रतिशत विद्यालय ही डेटा
सबमिट कर पाए हैं।
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