मामले की जांच इलाहाबाद के संयुक्त विकास आयुक्त व संयुक्त शिक्षा निदेशक को सौंपी गयी थी। इसे यादव की हनक ही कहेंगे कि बीएसए से डीआइओएस बनने पर तैनाती भी इलाहाबाद में ही मिली। शासन.सत्ता में मजबूत पकड़ के बदौलत प्रकरण की लंबी जांच प्रक्रिया कागजों पर सिमटी रही। मामले की इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गयी।
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