डीआरडीओ, आर्डिर्नेस
फैक्टरी डिपो और निजी क्षेत्र की मदद से किसी रक्षा प्रोजेक्ट पर कार्य करने के
लिए एक नई कंपनी या एसपीवी का गठन किया जाएगा। डीआरडीओ और आडिर्नेस फैक्टरी
सरकारी हैं, इसलिए उनका
हिस्सा ज्यादा होगा।रक्षा मंत्रालय के अनुसार भारतीय रक्षा उपकरणों खासकर
मिसाइलों आदि की मांग विदेशों में भी है।
अभी जो उत्पादन सरकारी कंपनियां करती हैं,
वह
अपनी जरूरत भर का ही कर पाती हैं। यदि निजी क्षेत्र से मिलकर उनकी निगरानी में
उत्पादन किया जाए तो भारत रक्षा उपकरणों के निर्यात में महत्वपूर्ण स्थान हासिल कर
सकता है। कई देशों ने ब्रह्मोस मिसाइल, ध्रुव हैलीकाप्टर आदि खरीदने में
दिचलस्पी दिखाई है।
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