चार
बार मऊ से विधायक रह चुके मुख्तार अंसारी इस बार बसपा के प्रत्याशी के तौर
पर चुनावी मैदान में हैं। पिछले काफी समय से वह अपने कौमी एकता दल के विलय
को लेकर चर्चा में रहे हैं। सीएम अखिलेश यादव के अड़ जाने के चलते सपा में
जब विलय नहीं हो पाया तो उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया। वह पहले भी बसपा
में रह चुके हैं। पूर्वांचल में मुख्तार का काफी असर माना जाता है। खास
तौर पर मुस्लिम मतदाताओं पर उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। मुख्तार दो बार
बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं और दो बार उन्होंने निर्दलीय चुनाव
लड़ा। तीन चुनाव उन्होंने जेल से ही लड़े। पिछला चुनाव उन्होंने 2012 में
कौमी एकता दल से लड़ा और विधायक बने। वह लगातार चौथी बार विधायक हैं।
फिलहाल पूर्वांचल में उनका काम उनके भाई और बेटे संभाल रहे हैं। मऊ में 4
मार्च को छठे चरण के तहत मतदान होना है।
अमनमणि को भी झटका
दूसरी
ओर, हाल में सपा से बाहर किए गए अमनमणि त्रिपाठी को भी इलाहाबाद हाईकोर्ट
से झटका लगा है। महराजगंज के नौतनवा से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव
लड़ रहे त्रिपाठी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वोट डालने और चुनाव प्रचार के
लिए परोल देने से इनकार कर दिया। त्रिपाठी अपनी पत्नी सारा की हत्या के
आरोप में गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं। उनकी जमानत याचिका पर आठ
मार्च को होगी अगली सुनवाई होगी।
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