नई दिल्ली। पूर्वांचल के बाहुबली नेता और हाल में बहुजन समाज पार्टी में
शामिल हुए मुख्तार अंसारी को दिल्ली हाईकोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है।
हाईकोर्ट ने उन्हें ट्रायल कोर्ट से मिले चुनाव प्रचार के लिए 15 दिन के
परोल को सोमवार को रद्द कर दिया। कोर्ट ने चुनाव आयोग की याचिका पर यह
फैसला सुनाया है। मुख्तार मऊ से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उधर
समाजवादी पार्टी से निकाले गए पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि
त्रिपाठी को भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रचार करने के लिए परोल देने से
इनकार कर दिया है। अमनमणि अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में जेल में बंद
हैं। [ पांचवे चरण के लिए आज थमेगा प्रचार, 117 दागी तो 168 उम्मीदवार करोड़पति] [ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
चुनाव आयोग ने मुख्तार की परोल रद्द करने के लिए कोर्ट में
दलील रखी कि उनके बाहर आने से कानून व्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है।
आयोग का यह भी कहना था कि भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड में आरोपी
अंसारी परोल मिलने पर गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं और वह समाज के लिए
गंभीर खतरा हैं। आयोग की बात मानते हुए अदालत ने मुख्तार का परोल रद्द कर
दिया। ऐसे में एक बार फिर उन्हें जेल में रहकर ही चुनाव लडऩा होगा।
चार
बार मऊ से विधायक रह चुके मुख्तार अंसारी इस बार बसपा के प्रत्याशी के तौर
पर चुनावी मैदान में हैं। पिछले काफी समय से वह अपने कौमी एकता दल के विलय
को लेकर चर्चा में रहे हैं। सीएम अखिलेश यादव के अड़ जाने के चलते सपा में
जब विलय नहीं हो पाया तो उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया। वह पहले भी बसपा
में रह चुके हैं। पूर्वांचल में मुख्तार का काफी असर माना जाता है। खास
तौर पर मुस्लिम मतदाताओं पर उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। मुख्तार दो बार
बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं और दो बार उन्होंने निर्दलीय चुनाव
लड़ा। तीन चुनाव उन्होंने जेल से ही लड़े। पिछला चुनाव उन्होंने 2012 में
कौमी एकता दल से लड़ा और विधायक बने। वह लगातार चौथी बार विधायक हैं।
फिलहाल पूर्वांचल में उनका काम उनके भाई और बेटे संभाल रहे हैं। मऊ में 4
मार्च को छठे चरण के तहत मतदान होना है।
अमनमणि को भी झटका
दूसरी
ओर, हाल में सपा से बाहर किए गए अमनमणि त्रिपाठी को भी इलाहाबाद हाईकोर्ट
से झटका लगा है। महराजगंज के नौतनवा से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव
लड़ रहे त्रिपाठी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वोट डालने और चुनाव प्रचार के
लिए परोल देने से इनकार कर दिया। त्रिपाठी अपनी पत्नी सारा की हत्या के
आरोप में गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं। उनकी जमानत याचिका पर आठ
मार्च को होगी अगली सुनवाई होगी।
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