शिमला। हिमाचल में सेब सीजन औपचारिक रूप से खत्म हो गया है। पिछले साल के मुकाबले इस बार करीब डेढ़ करोड़ पेटियां सेब कम हुईं। सरकारी आकलन के मुताबिक गत वर्ष करीब 3.80 करोड़ पेटियां (कार्टन) हुई थीं, लेकिन इस बार उत्पादन सवा दो करोड़ पेटियों में ही सिमट गया।
वैसे इस बार फसल के लिहाज से सेब का ऑफ सीजन था, जिसमें पहले से ही कम उत्पादन का अनुमान रहता है, लेकिन बागीचों में भरपूर फ्लावरिंग को देखते हुए माना जा रहा था कि सीजन उम्मीद से बेहतर रहेगा।
यदि बागीचों में फ्लावरिंग से लेकर तुड़ाई तक मौसम के मिजाज को देखते हुए आकलन किया जाए तो उत्पादन बहुत बुरा भी नहीं रहा।
राज्य के अधिकांश क्षेत्रों विशेषकर मध्यवर्ती क्षेत्रों में फ्लावरिंग के समय मौसम खराब यानी बहुत ठंडा हो गया था, जिस कारण पॉलीनेशन काफी कमजोर हुआ। कमजोर सेटिंग के ऊपर ओलावृष्टि ने भी कहर ढाया।
विपणन के समय बागवानों को आरंभ में तो अच्छे दाम मिले। तीन- तीन हजार रुपये में भी सेब की पेटियां बिकीं, बाद में तो बाजार में जैसे मंदी का दौर शुरू हो गया। अच्छा सेब भी 1000- 1200 रुपये पेटी के हिसाब से बिका।
अतिरिक्त मुख्य सचिव बागवानी जेसी शर्मा के अनुसार बागवानी विभाग का आकलन है कि इस बार प्रदेश से करीब पौने दो करोड़ पेटियां सेब की बाहर गईं। इसके अलावा घरेलु खपत, कोल्ड स्टोर में भंडारित सेब, अदानी जैसी कंपनियों की खरीद, सरकारी क्षेत्र की एजेंसियों जैसे- एचपीएमसी और हिमफेड की खरीद करीब 25 लाख पेटियों की रही होगी। इस तरह सीजन में केवल सवा दो करोड़ पेटियां सेब का ही उत्पादन हुआ। इस बार का सेब सीजन लगभग खत्म हो चुका है।
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