नई दिल्ली। बाप-बेटे के दो गुटों में बंटी समाजवादी पार्टी में चुनाव चिह्न
साइकिल पर दावे को लेकर चुनाव आयोग में सुनवाई शुक्रवार देर शाम पूरी हो गई। इसके बाद चुनाव आयोग ने निर्णय सुरक्षित रख लिया। उम्मीद है कि वह अपना निर्णय सोमवार को सुनाएगा।
चुनाव आयोग के दफ्तर में मुलायम खेमे से शिवपाल और वे खुद मौजूद रहे तो
वहीं अखिलेश गुट से रामगोपाल यादव मौजूद रहे। इसके अलावा रामगोपाल के साथ
किरणमय नंदा और नरेश अग्रवाल भी चुनाव अयोग में थे। चुनाव आयोग दोनों के
दावों पर साढ़े बारह बजे से सुनवाई कर रहा था। अखिलेश खेमे के रामगोपाल यादव ने 6 जनवरी को सीएम अखिलेश के समर्थक
नेताओं की सूची सौंपी थी। उन्होंने बताया था कि 229 में से 212 विधायकों,
68 में से 56 विधान परिषद सदस्यों और 24 में से 15 सांसदों ने अखिलेश को
समर्थन देने वाले शपथ पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। रामगोपाल ने कहा था कि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी ही असली समाजवादी पार्टी है। चुनाव चिह्न साइकिल इसी खेमे को मिलनी चाहिए। अखिलेश द्वारा अपने प्रतिद्वंद्वी एवं चाचा शिवपाल यादव को हटाकर सपा
प्रदेश अध्यक्ष बनाये गये नरेश उत्तम पटेल ने संवाददाताओं से कहा
कि सपा का चुनाव चिह्न साइकिल अखिलेश का है और चुनाव आयोग कानून की परिधि
में इसे अखिलेश को ही देगा, ऐसा हमारा विश्वास है। पटेल ने कहा पिता मुलायम सिंह यादव और पुत्र अखिलेश एक-दूसरे के साथ
हैं। हम अखिलेश के चेहरे पर चुनाव लड़ेंगे और नेताजी हमारा
मार्गदर्शन करेंगे। वह ना सिर्फ पिता बल्कि हमारे नेता भी हैं। [@ फ्रांस के इजराइली सेब को बाजार में उतारेंगे हिमाचल के बागवान]
समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव की वकील गौरी नौलांकर ने आयोग
में सुनवाई के बाद कहा, आयोग ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। वह पार्टी के चुनाव चिन्ह के बारे में सोमवार को निर्णय
सुनाएगा। उन्होंने कहा, आयोग ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
शुक्रवार
को हुई सुनवाई की संक्षिप्त जानकारी देते हुए गौरी ने कहा, मुलायम जी ने कहा कि शुरुआत से ही वह पार्टी के वैधानिक अध्यक्ष हैं,
इसलिए कोई भी व्यक्ति अवैधानिक रूप से सम्मेलन बुलाकर उन्हें उनके पद से
नहीं हटा सकता है। गौरी के अनुसार, मुलायम ने आयोग से कहा कि पार्टी के संविधान के मुताबिक वह उसके पदस्थ अध्यक्ष हैं।
अधिवक्ता
ने कहा कि मुलायम के पुत्र और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की
ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी से कहा कि यह
अखिलेश की पार्टी की है।
इससे
पहले कल चुनाव निशान को लेकर हो रही खींचतान के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश
यादव ने अपने मंत्रियों, विधायकों और कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात की। इस दौरान
उन्होंने कहा कि उन्हें चुनाव आयोग में जारी क़ानूनी लड़ाई की फ़िक्र किए
बगैर चुनाव की तैयारियों में जुट जाना चाहिए। अध्यक्ष पद को लेकर मुलायम और
अखिलेश में बात अटकी हुई है और पार्टी के ज़्यादातर विधायक, MLC, पार्षद
अखिलेश के साथ हैं।
इससे पहले की खबर के अनुसार मुलायम सिंह
यादव और अखिलेश गुट की ओर से रामगोपाल यादव चुनाव आयोग पहुंच चुके।
अखिलेश खेमे की तरफ से किरणमय नंदा, नरेश अग्रवाल, अक्षय यादव और सुरेंद्र
नागर भी पहुंचे। सूत्रों के मुताबिक दोनों पक्षों के बीच सिंबल के मसले
पर वहां तकरार हुई। आयोग के बाहर मुलायम समर्थक उनके पक्ष में नारे लगा
रहे हैं। आयोग में अखिलेश खेमे का पक्ष कपिल सिब्बल रखेंगे।
उल्लेखनीय
है कि आज चुनाव आयोग में ट्राइब्युनल की तर्ज पर मामले की सुनवाई हो रही
है। सुनवाई के दौरान तीनों चुनाव आयुक्तों के साथ चुनाव आयोग के कानूनी
सलाहकार भी मौजूद रहेंगे। इस दौरान दोनों पक्षों से अपनी बात सबूतों के
आधार पर रखने को कहा जाएगा। मामले की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जा सकती है।
इससे
पहले मुलायम सिंह यादव ने अपने पक्ष में आयोग को मुख्य रूप से तीन
दस्तावेज दिए हैं- 1. समाजवादी पार्टी का संविधान, 2. रामगोपाल यादव की
बर्खास्तगी की चि_ी और तीसरा एक पत्र जिसमें कहा गया है कि रामगोपाल ने जो
सम्मेलन बुलाया, वह असंवैधानिक है।
उधर जवाब में दूसरे पक्ष के
याचिकाकर्ता रामगोपाल यादव (अखिलेश यादव के खेमे से) ने आयोग से कहा है कि
सम्मेलन बुलाने के लिए उन्हें अधिकृत किया गया था। 55 प्रतिशत सदस्यों ने
सम्मेलन के लिए सहमति दी थी जबकि संविधान के मुताबिक 40 प्रतिशत से अधिक
सदस्य लिखित में दें तो पार्टी संविधान के हिसाब से आपात अधिवेशन बुलाया जा
सकता है। साथ ही रामगोपाल यादव ने 200 से अधिक विधायकों और 15 से अधिक
सांसदों के समर्थन की चि_ी भी दी है।
इस बात की संभावना भी है कि अगर
आयोग दोनों पक्षों की दलीलों से संतुष्ट नहीं होता है या दोनों की दलीलों
में दम लगता है तो वह चुनाव चिह्न को जब्त भी कर सकता है। ऐसे में दोनों ही
पक्षों को अगले चुनाव में साइकिल के अलावा कोई और चुनाव चिह्न लेना होगा।
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