गुवाहाटी। एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत शुक्रवार को कांग्रेस ने अरुणाचल प्रदेश में
अपनी सरकार तब खो दी, जब मुख्यमंत्री पेमा खांडू और 42 विधायकों ने पार्टी
छोड़ दी और अरुणाचल पीपुल्स पार्टी (पीपीए) में शामिल हो गए। पीपीए भाजपा
का एक सहयोगी दल है।
खांडू के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन करने वाले दो निर्दलीय विधायक भी
पीपीए में शामिल हो गए। पीपीए हाल ही में भाजपा द्वारा गठित कांग्रस विरोधी
गठबंधन- उत्तर पूर्व लोकतांत्रिक गठबंधन (एनईएडीए) का एक घटक दल है।
खांडू
ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष वांगकी लोवांग को
सूचित किया है कि हम कांग्रेस का पीपीए में विलय कर रहे हैं। विलय का
फैसला शुक्रवार की सुबह हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में लिया गया। पीपीए के अध्यक्ष कामेंग रिंगू ने कहा कि उनकी पार्टी में शामिल होने वाले कांग्रेस विधायक `कुछ होने` की प्रतीक्षा कर रहे थे।
अरुणाचल
प्रदेश में आश्चर्यजनक राजनीतिक घटनाक्रम के बाद रिंगू ने कहा,अस्थायी निर्वासन के बाद यह एक तरह की घर वापसी है। रिंगू ने कहा, पेमा खांडू और उनकी टीम पर एक अच्छी पीपपीए सरकार देने की उनकी क्षमता पर हमें भरोसा है। मुख्यमंत्री खांडू के एक विश्वस्त पसांग दोरजी सोना ने कहा, शपथ ग्रहण समारोह नहीं होगा, क्योंकि केवल पार्टी बदली गई है।
जब
उनसे नई सरकार में भारतीय जनता पार्टी को शामिल करने के बारे में
पूछा गया तो सोना ने कहा, यह तय करना भाजपा को है कि वह पीपीए की सरकार
में शामिल होगी या नहीं।
इस बीच भाजपा ने कहा कि कांग्रेस के 43
विधायकों के पलायन ने उनकी इस बात की पुष्टि की है कि कांग्रेस के आतंरिक
मामलों से उसका (भाजपा) का कोई लेना-देना नहीं है। भाजपा के प्रदेश
अध्यक्ष तपिर गाओ ने कहा, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के कारण
पिछली बार वे कांग्रेस में वापस लौट गए थे। आज (शुक्रवार) उन लोगों ने पुन:
कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और पीपीए के साथ विलय कर लिया। ऐसा प्रतीत होता
है कि कांग्रेस हाईकमान अरुणाचल में अपने विधायकों की पूरी तरह से उपेक्षा
कर रहा है।
अरुणाचल प्रदेश की 60 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के
44 विधायक थे, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी को छोड़कर सभी दल बदल
कर पीपीए में शामिल हो गए हैं।
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