बलवंत तक्षक
चंडीगढ़। पंजाब में विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेसी उम्मीदवारों की सूची में समय लग सकता है। सत्ता हासिल करने के मकसद से कांग्रेस में इस बार नए चेहरों पर भी बड़े पैमाने पर दांव लगाया जाएगा। उम्मीदवारों के चयन के लिए पंजाब कांग्रेस की बैठक तो हो चुकी है, उम्मीदवारों के चयन पर विचार-विमर्श भी कर लिया गया है, लेकिन हमेशा की तरह अंतिम फैसला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर छोड़ दिया गया है।
अकाली दल ने 78 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। राज्य की कुल 117 सीटों में अकाली दल को 94 सीटों पर चुनाव लडऩा है। 23 सीटें भाजपा के लिए छोड़ दी गई हैं। ऐसे में अकाली दल को अब 16 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित करने हैं। इनमें भी दो सीटें ऐसी हैं, जहां मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को मैदान में उतरना है। भाजपा ने भी अभी अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। भाजपा के चुनाव अभियान को गति देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पंजाब का दौरा कर चुके हैं।
सत्ता हासिल करने के लिए कांग्रेस या अकाली-भाजपा गठबंधन को 59 सीटों पर जीत हासिल करनी होगी। उधर, आप अपने उम्मीदवारों की सूची किश्तों में जारी कर रही है। ऐलान के बाद दो सीटों पर उम्मीदवार बदले भी जा चुके हैं। आप के संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कह चुके हैं कि उम्मीदवार आगे भी बदले जा सकते हैं। टिकटों के मामले में सबसे ज्यादा मारामारी कांग्रेस में है। एक-एक सीट पर कई-कई दावेदार हैं।
दूसरी पार्टियों से कांग्रेस में आए नेताओं को भी टिकट दिए जाने हैं। इनमें भाजपा से आई नवजोत कौर और अकाली दल से आये परगट सिंह बड़े नाम हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि उन दावेदारों को जो टिकट मिलने से वंचित रह जाएंगे, सत्ता में आने के बाद बोर्डों-निगमों की चेयरमैनी दी जाएगी। जाहिर है, ऐसा वादा टिकटों की घोषणा के बाद संभावित बगावत टालने के मकसद से ही किया जा रहा है।
कांग्रेस नामांकन पत्र दाखिल करने की तारीख आने तक उम्मीदवारों की घोषणा रोके रख सकती है, ताकि टिकट से वंचित रहे नेताओं को दूसरी पार्टियों की तरफ जाने या उनकी टिकट पर चुनाव लडऩे का मौका ही नहीं मिल पाये। सत्ता हासिल करने के लिए जूझ रही कांग्रेस में कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए मुख्यमंत्री पद पर पहुंचने का यह आखिरी मौका है।
उन्हें मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित करके ही कांग्रेस चुनाव लड़ती रही है और एक बार फिर उन्हें आगे किया गया है। कैप्टन जानते हैं कि अब नहीं तो कभी नहीं, इसलिए वे चुनावों में बहुत से नये चेहरों पर भी दांव लगाएंगे। कैप्टन का कहना है, उम्मीदवारों की जो सबसे बड़ी योग्यता उनकी चुनाव जीतने की क्षमता ही होगी।
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